Friday, 27 December 2019

वो हृदय विदारक दृश्य

वो हृदय विदारक दृश्य
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उफ्फ़ वह मानव
जो बैठा था कड़ाके की सर्दी में
सुबह-सुबह मेरे घर के पास

बढ़ी हुई दाढ़ी, बिखरे-उलझे बाल
तन पर एक मैला सा कम्बल लपेटे
सरकारी दान का कम्बल
नहाए अर्सा हुआ हो शायद

जल्दी-जल्दी समेट रहा था
रोटी के टुकड़ों को
खाने लगा वहां पड़े चावल
जो डाले गए थे गली के कुत्तों हेतु

वे कुत्ते खड़े उस पर भौंक रहे थे
क्योंकि नाराज़ थे उससे
अपने हिस्से का खाना छीनने पर

 आह, वो हृदय विदारक दृश्य
मेरे पति ने दिखाया था मुझे सुबह-सुबह
जागृत करने को तन्द्रा से।

मैं दुःख से चिल्लाती भागी रसोई की ओर
दो परांठे हाथ ही में लिए
दौड़ पड़ी उसे देने को

किन्तु जा चुका था वो तब तक
पति को दौड़ाया उसके पीछे
उन्होंने आवाज़ लगायी उसे
वो तुरंत पीछे मुड़ा

परांठे देखकर चमक उठी उसकी आँखे
जाने कब की भूख
शांत होने की आशा से
खुश हुआ वो, बेहद खुश

मैं चाहती थी उसे ऊनी वस्त्र देना
मगर वो ठहरा ही नही
कितना अपार संतोषी था वो
दीन-हीन फटेहाल

सोचती रह गयी मैं
अन्न की उस बर्बादी को
जो अमूमन हर शख्स करता है

अलमारी में भरे उन ऊनी वस्त्रों को
जिनका पूरी सर्दी तन पे सजने का
अवसर भी नही आता

फिर भी परेशान रहता है इंसान
भौतिक सुख की कमी से
कोसता है हरदम प्रारब्ध को
दोष देता है ईश्वर को

काश...उस दीन सा संतोष
पा जाए हर मानव
तो मिट जाएगा त्रास संसार का

हर कोई खुद खाकर,
दूसरे को भी खिला पाए
खुद के फालतू वस्त्र
दूसरे को बाँट पाए
अपनी खुशी को बाँटकर
दूसरे को भी हंसा पाए

तो मिट जाएंगे
दुःख, दारिद्र्य, दीनता
इस संसार से सदा के लिए
सदा-सदा के लिए

{सत्य घटना, चित्र सांकेतिक है। दिनाँक-27-12-2019}

Friday, 6 December 2019

अंतिम नमन प्यारे पापा

आह! चले गए आज
हमारे प्यारे पिता
तजकर यह नश्वर देह
दूर...इस कष्टमय संसार से

रह गए सभी कष्ट धरे के धरे
ना छू पाए उनको अंत तक भी
आत्मा है उनकी अब उन्मुक्त
 विचरण करती नीले आकाश में

शायद देखती होगी प्रसन्नता से हमें
धैर्यपूर्वक अपने पिता को
विदाई देते नम आँखों से
इस नश्वर संसार से

मृत्यु के बाद का स्वर्ग
मृत्यु से पूर्व भोगकर
वो कहलाये हैं भाग्यशाली पिता
अपनी बेटे जैसी बेटियों के

तिल-तिल जलकर हमको पाला
मेहनत का सबक सिखा डाला
पाया धर्म ईमानदारी का उनसे
कभी ना थकने का जुनून जगा डाला

ना सहे  कभी असीम कष्ट
ना कराई कभी हमसे सेवा
मेहनत भरे सादा जीवन का
यही पाया ईश्वर से मेवा

ब्याह के समर्पित 50 साल
बिताए हमारी माता के संग
मृत्यु रूपी अटल सत्य का
तब जाकर के किया वरण

अंतिम दिन के अंतिम क्षण तक
पूरी तरह वो रहे सजग
ना रोये शैय्या पे, ना तड़पे मृत्यु को
ना किया किसी को जरा भी तंग

अंत समय पर करा दिया
उनके नेत्रों का दान
मृत्यु उपरान्त भी पापा प्यारे
देखेंगे ये सारा जहान

पापा नाम तुम्हारा जग में
हम मिलकर चमकाएंगे
सिर्फ बेटे ही ना पार लगाते
दुनिया को बतलायेंगे

कर्मनिष्ठ बनकर इस जग में
परिश्रम की पताका फहराएंगे
कर्त्तव्य व ईमान ही श्रेष्ठ धर्म है
साबित करके दिखलायेंगे।

बेटियां भी फल हैं पुण्य कर्मों का
ये हर एक को सिखलायेंगे
नाज़ करे सब बेटी के जन्म पे
ऐसा उदाहरण बन जायेंगे।

प्यारे पापा को मेरी और से अंतिम
स्नेहिल, गौरवपूर्ण भावभीनी श्रद्धांजलि🙏🏻😥💐💐