Friday, 27 March 2020

व्यथित मनुहार

*व्यथित मनुहार*

मैं क्या गाऊँ
मेरे शब्द खो गए....
देखकर ये दुःख दारुण
निःशब्द नैना हो गए....

गुमसुम हुए सतरंगी झूले
गुमसुम है खिलखिलाता बचपन...
बोझल, पथराई आँखों से
गायब हो गए सारे स्वप्न....

हर तरफ रूदन, आहें हैं फैलीं
टूटती, हांफती साँसे हैं फैलीं....
खिलते थे जहाँ फूल गुलाबी
उनकी जगह लाशों ने ले ली....

रो रहा है सिसककर,  गुलाब भी आज
कहाँ गया वो वजूद, था जिसपे नाज़....
प्रिय की सेज पे, इतराता था जो
चढ़ रहा है लाइन से, कोफिनों पे आज....

घर के वट वृक्ष, कहाने वाले
इंसानों को तड़पते,  देख रहे आज....
मानवों की जान बचाने वाले
भगवानों को भी मरता, देख रहे आज....
इटली जो खनकता था, हंसी से हरदम
मरघट में बदलता, देख रहे आज....

आह प्रभु! अब तो कर दो रहम
तेरी कृपा से, दम पा जाए बेदम
रोको क्रूर कोरोना के बढ़ते कदम
हाँ तुम ही हो सर्वशक्तिशाली....
टूट चुके हैं हमारे सारे भरम।।।

रीता गुप्ता (स०अ०)
मॉडल प्राइमरी स्कूल बेहट नम्बर-1, सहारनपुर

Saturday, 21 March 2020

कविता कैसे बने...

*कविता कैसे बने*

छाया धरा पे हाहाकार,
हो रहा हर कोई बीमार,
लाचार पड़ी मानवता आज।
कविता कैसे बने।।

एक विषाणु ने किया अपंग,
मानव तन-मन भयभीत तंग,
सिसक रहा हर इक तख्तो-ताज़।
कविता कैसे बने।।

बिखरी पीड़ा, दुःख, दर्द, आह,
बीमारों को ना मिल रही बांह,
अकेली रो रही लाशें आज।
कविता कैसे बने।।

हर कोई है अवाक, अनजान,
करें कैसे इसका समाधान,
कहाँ से ढूंढे कोई इलाज।
कविता कैसे बने।।

हुए सब कैद घरों में आज
ठप्प हुए सबके काम-काज
मातम ही मातम पसरा आज।
कविता कैसे बने।।

वीरान हुए गिरजाघर, मंदिर
गली, राजपथ, गांव, शहर
डरे मानव से मानव आज।
कविता कैसे बने।।

कांपे धरा का कोना-कोना
हर तरफ फैला है कोरोना
हवा की भी सीरत है नासाज़
कविता कैसे बने।।

हजारों गवां बैठें हैं जान,
कल का चमन, आज शमशान,
रुदाली के अश्क भी सूखे आज।
कविता कैसे बने।।

रीता गुप्ता
(स०अ०)
मॉडल प्राइमरी स्कूल बेहट नम्बर-1, सहारनपुर

Saturday, 14 March 2020

दुष्ट कोरोना- यहाँ से भागो ना

*दुष्ट कोरोना- यहाँ से भागो ना*

मुरझाई है दुनिया की फुलवारी
धरती पे फैली है महामारी

इटली, चीन, अमेरिका, बार्सिलोना
हर तरफ फैला है कोरोना

पटरी से उतरी है सबकी गाड़ी
घर में कैद हुए नर-नारी

काम-धंधे बेहाल हो गए
चिकन वाले कंगाल हो गए

हाथ मिलाना पड़ रहा भारी
छूते ही मिलती है बीमारी

साँस के जरिये फ़ैल रही बीमारी
बीमार के लिए मास्क बड़ा जरुरी

मास्क, सेनिटाइजर की मांग चढ़ रही
जमके कालाबाजारी बढ़ रही।

टिकटोक वालों का चल रहा धंधा
कोरोना गुरु बना हर बंदा

स्कूल, कॉलेज सब बंद पड़े हैं
मॉल, सिनेमा में ताले जड़े हैं।

खेल के मैदान सब सूने पड़ गए
मार के छक्का, कप्तान बॉल ढूंढ़ रहे

चीन- अमेरिका में ठन रही रार
कोरोना संक्रमण है या जैविक वॉर

अर्थव्यवस्था बेहाल हो रही
सेंसेक्स नित धरती को छू रही

दक्षेस भी हैं बहुत घबराये
मोदीजी से आस लगाए

मोदीजी कुछ करो उपाय
कोरोना का नाम मिट जाए

विश्व ये सारा सनातन हो रहा
चर्च, कब्रिस्तान भी शमशान हो रहा

छोड़ माँस को शाकाहार अपना रहा
करके नमस्कार कोरोना को भगा रहा

मम्मियों के लिए चुनौती बना
बच्चों का स्कूल बंद होना

जल्दी से भागो दुनिया से
अब ओ दुष्ट कोरोना-कोरोना

लेखिका:
रीता गुप्ता
(स०अ०)
मॉडल प्राइमरी स्कूल बेहट न० 1
सहारनपुर