Saturday, 21 March 2020

कविता कैसे बने...

*कविता कैसे बने*

छाया धरा पे हाहाकार,
हो रहा हर कोई बीमार,
लाचार पड़ी मानवता आज।
कविता कैसे बने।।

एक विषाणु ने किया अपंग,
मानव तन-मन भयभीत तंग,
सिसक रहा हर इक तख्तो-ताज़।
कविता कैसे बने।।

बिखरी पीड़ा, दुःख, दर्द, आह,
बीमारों को ना मिल रही बांह,
अकेली रो रही लाशें आज।
कविता कैसे बने।।

हर कोई है अवाक, अनजान,
करें कैसे इसका समाधान,
कहाँ से ढूंढे कोई इलाज।
कविता कैसे बने।।

हुए सब कैद घरों में आज
ठप्प हुए सबके काम-काज
मातम ही मातम पसरा आज।
कविता कैसे बने।।

वीरान हुए गिरजाघर, मंदिर
गली, राजपथ, गांव, शहर
डरे मानव से मानव आज।
कविता कैसे बने।।

कांपे धरा का कोना-कोना
हर तरफ फैला है कोरोना
हवा की भी सीरत है नासाज़
कविता कैसे बने।।

हजारों गवां बैठें हैं जान,
कल का चमन, आज शमशान,
रुदाली के अश्क भी सूखे आज।
कविता कैसे बने।।

रीता गुप्ता
(स०अ०)
मॉडल प्राइमरी स्कूल बेहट नम्बर-1, सहारनपुर

10 comments:

  1. वाह वाह वाह... बेहद खूबसूरत रचना..
    👌👌👌👌👌👌💐
    आज के माहौल पर बिल्कुल सटीक
    हार्दिक शुभकामनाएं जी

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  2. इस कविता के माध्यम से आपने प्रकृति का एक ऐसा चरित्र उजागर कर दिया है जिसमें मानव स्वयं को विवश महसूस कर रहा है...
    और प्रकृति अपने स्वरूप से पूरी दुनिया को पंगु बनाए बैठी है....😡😡

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  3. कविता कैसे बने ..बहुत ही मार्मिक ����������������������

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  4. Charitarth hoti hui kavita mem👏👏👏

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  5. सुंदर रचना, समसामयिक

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  6. बहुत शानदार।
    हालात का उचित चित्र खींचा है।

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  7. बहुत बढ़िया दी

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  8. बहुत ही अच्छा लिखा है दीदी जी👌👌🙏

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  9. Bhot sunder rachna h mam...

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