Tuesday, 14 April 2020

कुछ नया करते हैं...

*कुछ नया करते हैं*

आओ बच्चों
कुछ नया करते हैं
गुमसुम बीत रहा है समय
इसे हरा-भरा करते हैं।

स्कूल का वो आंगन नही है तो क्या
इस व्हाट्सअप ग्रुप को ही चलाते हैं
नयी-नयी सुन्दर कृतियों से आओ
 अपने ग्रुप की गैलरी को सजाते हैं।

बोर्ड पे नही पढ़ पा रहे हो तो क्या
कीबोर्ड को लिखने का माध्यम बनाते हैं
मैं प्रश्न लिखूं, तुम लिखो उत्तर
मिलकर अपने-अपने  दिल के भाव दर्शाते हैं।

किताबें नही है पढ़ने को तो क्या
जीवन के अनुभव को माध्यम बनाते हैं
लॉक डाउन के इस इतिहास को
अपने शब्दों से समझते-समझाते हैं।

दुनिया है कैद हुई घरों में आज
इस कैद में भी चलो मिलकर मुस्कुराते हैं
बीत ही जायेगी गम की ये रात अँधेरी
हम मिलकर सोशल डिस्टैंसिंग अपनाते हैं।

फिर से जगेंगे ख्वाब सुनहरे
फिर से हँसेंगे ये उदास चेहरे
फिर से घूमेंगी मस्तों की टोली
गूंजेगी सड़कों पर फिर से बोली

फिर से खुलेगा अपना स्कूल
फिर से पढ़ेंगे हम हर दुःख भूल
फिर से मिलकर हम तिरंगा लहरायेंगे
भारत को मिलकर विश्व गुरु बनाएंगे।

रचयिता:
रीता गुप्ता (स०अ०)
मॉडल प्राइमरी स्कूल बेहट नं-1
जनपद- सहारनपुर



1 comment:

  1. बहुत बढ़िया दीदी जी। 👌👌

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