अनुभव की कलम से.....
मिड डे मील की धनराशि छात्रों के खातों में पहुंचाने हेतु आजकल विद्यालय में छात्रों के अभिभावकों के बैंक खातों का कलेक्शन चल रहा है। इसी कारण कुछ दिन से रोज विद्यालय जाना हो रहा है।
स्कूल का क्रेज बच्चों को इतना है कि अपने माता पिता के साथ बच्चे भी स्कूल आ रहे हैं। कारण सिर्फ अपने स्कूल को देखना, अपने टीचर से मिलना और खुशी का अनुभव करना। इसी बीच आज एक असामान्य सी घटना घटी जिसने अति व्यस्तता के बीच भी मेरा ध्यान अपनी ओर खींच लिया।
स्कूल में कक्षा 1 में पढ़ने वाला एक स्पेशल स्टूडेंट उमर भी आज अपने परिवार के साथ स्कूल आया। उमर एक स्पेशल बच्चा है जो कि अति चंचल है। बोल नहीं पाता किंतु एंड्रॉयड फोन को हैंडल करने में पूरी तरह से एक्सपर्ट है। एंड्राइड फोन देखते ही हाथ से छीन लेता है । एक बार फोन को अनलॉक करके उसको दे दो उसके बाद वह खुद ही यूट्यूब पर पहुंच जाता है और अपनी मनपसंद वीडियो देखने लगता है। लेकिन खतरा रहता है कि मानसिक रूप से जिम्मेदार ना होने के कारण वह मोबाइल को तोड़ भी सकता है।
जैसे ही मैंने उसको गेट पर आते हुए देखा तो तुरंत अपना मोबाइल फोन छुपा दिया, मुझे डर था कि हमेशा की तरह वह आते ही मेरा मोबाइल फोन मेरे हाथ से छीन लेगा। और उससे फोन वापस लेना बहुत मुश्किल हो जाएगा।
लेकिन मैं हैरान रह गई, वह मेरे पास आया ही नहीं। ना ही उसने स्वभावत: मुझसे हाथ मिलाया । ना हंसा, ना शोर मचाया, ना मोबाइल ढूंढने का प्रयास किया। वह चुपचाप दीवार के पास ही खड़ा हो गया और दीवार को देखने लगा। मैंने उसको आवाज भी लगाई किंतु उसकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
अब मेरा ध्यान उसके साथ आये लोगों पर गया। आज उसके साथ उसकी मां नहीं थी। उसकी बड़ी बहन तथा एक अन्य रिश्तेदार साथ आई थी। मैंने उनसे पूछा इसकी मां कहां है, वह क्यों नहीं आई?? यह आज इतना शांत कैसे है?? तब उमर की बड़ी बहन ने बताया कि उसकी मां बहुत ज्यादा बीमार है और सहारनपुर हॉस्पिटल में भर्ती है। उमर कभी उनके बिना नहीं रहता, आज अकेले रहना पड़ रहा है, शायद इसीलिए आज यह है शांत है।
मेरा मन बहुत दुखी हुआ, उस बालक की स्थिति को देखकर। उसकी मां उसके लिए उसकी पूरी दुनिया है, उसकी हंसी है, उसकी चंचलता है, उसका मस्तिष्क है, उसके क्रियाकलाप है। अपनी मां के सामने इतना सक्रिय रहने वाला बालक, आज असामान्य रूप से शांत हो चुका था। हम क्लास में उसे कभी शांति से नहीं बैठा पाए। एक या डेढ़ घंटे से अधिक उसे स्कूल में नहीं रोक पाए। लेकिन आज अपनी मां के बिना वह बालक बिल्कुल शांति से बैठा था या यह कहिए कि खुद को बेजान महसूस कर रहा था।
वैसे तो मां की शक्ति को हर कोई हर समय अपने साथ महसूस करता है। किंतु एक असामान्य बुद्धि वाला बालक उसे कितना ज्यादा महसूस करता है इसका उदाहरण आज मेरे समक्ष था।
मेरे पास बेहद ज्यादा काम था जिसके कारण मेरे लिए उमर से बात कर पाना आज संभव नहीं था। बावजूद उसके, उसकी उदासी को देखकर मन में भाव लगातार उमड़ रहे थे। मैं बार-बार बस भगवान से यही प्रार्थना कर रही थी कि भगवान इसकी मां को बिल्कुल ठीक कर देना ताकि यह नन्हा सा अबोध बालक कुछ तो खुद को संभाल सके। भगवान को छोटे बच्चों को उनकी मां से कभी जुदा नहीं करना चाहिए क्योंकि बच्चों के लिए उनकी मां ही उनकी पूरी दुनिया है।
(ईश्वर कृपा से अब उमर की मां बिल्कुल ठीक है।)
रीता गुप्ता
सहायक अध्यापिका
मॉडल प्राइमरी स्कूल बेहट नं- 1
सहारनपुर
मिड डे मील की धनराशि छात्रों के खातों में पहुंचाने हेतु आजकल विद्यालय में छात्रों के अभिभावकों के बैंक खातों का कलेक्शन चल रहा है। इसी कारण कुछ दिन से रोज विद्यालय जाना हो रहा है।
स्कूल का क्रेज बच्चों को इतना है कि अपने माता पिता के साथ बच्चे भी स्कूल आ रहे हैं। कारण सिर्फ अपने स्कूल को देखना, अपने टीचर से मिलना और खुशी का अनुभव करना। इसी बीच आज एक असामान्य सी घटना घटी जिसने अति व्यस्तता के बीच भी मेरा ध्यान अपनी ओर खींच लिया।
स्कूल में कक्षा 1 में पढ़ने वाला एक स्पेशल स्टूडेंट उमर भी आज अपने परिवार के साथ स्कूल आया। उमर एक स्पेशल बच्चा है जो कि अति चंचल है। बोल नहीं पाता किंतु एंड्रॉयड फोन को हैंडल करने में पूरी तरह से एक्सपर्ट है। एंड्राइड फोन देखते ही हाथ से छीन लेता है । एक बार फोन को अनलॉक करके उसको दे दो उसके बाद वह खुद ही यूट्यूब पर पहुंच जाता है और अपनी मनपसंद वीडियो देखने लगता है। लेकिन खतरा रहता है कि मानसिक रूप से जिम्मेदार ना होने के कारण वह मोबाइल को तोड़ भी सकता है।
जैसे ही मैंने उसको गेट पर आते हुए देखा तो तुरंत अपना मोबाइल फोन छुपा दिया, मुझे डर था कि हमेशा की तरह वह आते ही मेरा मोबाइल फोन मेरे हाथ से छीन लेगा। और उससे फोन वापस लेना बहुत मुश्किल हो जाएगा।
लेकिन मैं हैरान रह गई, वह मेरे पास आया ही नहीं। ना ही उसने स्वभावत: मुझसे हाथ मिलाया । ना हंसा, ना शोर मचाया, ना मोबाइल ढूंढने का प्रयास किया। वह चुपचाप दीवार के पास ही खड़ा हो गया और दीवार को देखने लगा। मैंने उसको आवाज भी लगाई किंतु उसकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
अब मेरा ध्यान उसके साथ आये लोगों पर गया। आज उसके साथ उसकी मां नहीं थी। उसकी बड़ी बहन तथा एक अन्य रिश्तेदार साथ आई थी। मैंने उनसे पूछा इसकी मां कहां है, वह क्यों नहीं आई?? यह आज इतना शांत कैसे है?? तब उमर की बड़ी बहन ने बताया कि उसकी मां बहुत ज्यादा बीमार है और सहारनपुर हॉस्पिटल में भर्ती है। उमर कभी उनके बिना नहीं रहता, आज अकेले रहना पड़ रहा है, शायद इसीलिए आज यह है शांत है।
मेरा मन बहुत दुखी हुआ, उस बालक की स्थिति को देखकर। उसकी मां उसके लिए उसकी पूरी दुनिया है, उसकी हंसी है, उसकी चंचलता है, उसका मस्तिष्क है, उसके क्रियाकलाप है। अपनी मां के सामने इतना सक्रिय रहने वाला बालक, आज असामान्य रूप से शांत हो चुका था। हम क्लास में उसे कभी शांति से नहीं बैठा पाए। एक या डेढ़ घंटे से अधिक उसे स्कूल में नहीं रोक पाए। लेकिन आज अपनी मां के बिना वह बालक बिल्कुल शांति से बैठा था या यह कहिए कि खुद को बेजान महसूस कर रहा था।
वैसे तो मां की शक्ति को हर कोई हर समय अपने साथ महसूस करता है। किंतु एक असामान्य बुद्धि वाला बालक उसे कितना ज्यादा महसूस करता है इसका उदाहरण आज मेरे समक्ष था।
मेरे पास बेहद ज्यादा काम था जिसके कारण मेरे लिए उमर से बात कर पाना आज संभव नहीं था। बावजूद उसके, उसकी उदासी को देखकर मन में भाव लगातार उमड़ रहे थे। मैं बार-बार बस भगवान से यही प्रार्थना कर रही थी कि भगवान इसकी मां को बिल्कुल ठीक कर देना ताकि यह नन्हा सा अबोध बालक कुछ तो खुद को संभाल सके। भगवान को छोटे बच्चों को उनकी मां से कभी जुदा नहीं करना चाहिए क्योंकि बच्चों के लिए उनकी मां ही उनकी पूरी दुनिया है।
(ईश्वर कृपा से अब उमर की मां बिल्कुल ठीक है।)
रीता गुप्ता
सहायक अध्यापिका
मॉडल प्राइमरी स्कूल बेहट नं- 1
सहारनपुर
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