Monday, 20 April 2020

पृथ्वी की पुकार


पृथ्वी दिवस के अवसर पर लिखी गयी यह कविता सभी भारतवासियों को समर्पित🙏🙏🇮🇳🇮🇳

*शीर्षक: पृथ्वी की पुकार*

है थम गया सारा कोलाहल
धरा हौले हौले मुस्कुराने लगी है।
दब गई थी जो प्रदूषण के नीचे
वह उमंगे बाहर आने लगी हैं।

है मानव आज आबद्ध जंजीरों में
कोरोना ने विश्व को बंदी किया है।
मानव का सर दर्द बढ़ता जा रहा
पर धरा के लिए ये वरदान बना है।

 हैं नदियां बहती निर्मल कल-कल
हुआ शीतल धरा का अंतस्थल
पवन भी महकने लगी पुरवाई
सांसे चलने लगी निर्मल निश्चल।

प्रकृति ने ओढ़ ली हरी चुनरिया
खुशी से हो रही भाव विह्वल।
पशु पक्षी डोले हैं गली-गली
नाच रहा है सारा जंगल ।

है भरने लगा घाव नभ का भी
ले रहा वह भी सांसे चैन की।
फैली है हर ओर असीम शांति                   चंदा की बढ़ती जा रही कांति।

 विश्व में देखो मचा रुदन है
पर यह धरा इस रुदन से मगन है।
मचलती, इठलाती जैसे जतला रही है
तुम को मिली है सजा, यह बतला रही है।

पूरे साल प्रदूषित करके,
मुझे तुम सताते हो।
फिर साल में एक दिन तुम,
पृथ्वी दिवस मनाते हो।

करके छलनी मेरे स्वरूप को
 मिलकर खुशियां मनाते हो।
कैद हुए हो आज घरों में
बोलो क्यों पछताते हो।

 मैं हूं जननी, मैं ही पालक
 तुम सब हो मेरे ही बालक।
 नहीं सुधारी तुमने आदतें तो
और खराब हो जाएगी हालत

ना जल होगा, ना जंगल होगा
फिर ना जीवन में मंगल होगा।
मिट जाएगी यह मानव जाति
 सिर्फ अमंगल ही अमंगल होगा।

अब होश में आओ,और ध्यान लगाओ।
धरा को प्रदूषण के कहर से बचाओ।
छद्म महत्वाकांक्षाओं का कर दो त्याग
शुद्ध सरल जीवनशैली अपनाओ।

जो पर्यावरण शुद्ध स्वच्छ रहेगा
धरा का कोना कोना महकेगा।
कोरोना ना कर पाएगा मनमानी
हर दिन पृथ्वी दिवस मनेगा।
हर दिन पृथ्वी दिवस मनेगा।।।

रचयिता:
रीता गुप्ता (स० अ०)
प्राथमिक विद्यालय बेहट नं-1
जनपद- सहारनपुर

6 comments:

  1. चलो पृथ्वी को हम स्वर्ग बनाएं अपना सीना तान के, हम बच्चे हिंदुस्तान के।
    बहुत सुंदर

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  2. 👌👌💐💐बहुत बढ़िया
    प्रकृति का सम्मान करें।

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  3. बहुत ही बढ़िया 🎉🎊🎉♥️

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