Saturday, 4 April 2020

हां, मैं दिया जलाऊँगी

*'हां, में दिया जलाऊँगी'*
      (०५-०४-२०२०)

हां, मैं दिया जलाऊँगी,
आज मैं दिया जलाऊँगी।

कोरोना को जड़ से मिटाने की खातिर,
स्थिर जीवन को चलाने की खातिर,
निराश मन को जगमगाने की खातिर,
आशा के भाव जगाने की खातिर।।
हां, मैं दिया जलाऊंगी,
आज मैं दिया जलाऊंगी।

स्वदेश प्रेम व मान की खातिर,
मोदी जी के आवाह्न की खातिर,
नर्सों व डॉक्टरों के सम्मान की खातिर,
सीमा पर डटे जवान की खातिर।।
हां, मैं दिया जलाऊंगी,
आज मैं दिया जल आऊंगी।

संक्रमण से बचाती पुलिस की खातिर,
भूखों का पेट भरते सेवादारों की खातिर,
ड्यूटी निभाते हर कर्मचारी की खातिर,
अपमान का घूंट सहते हर रक्षक की खातिर।।
हां, मैं दिया जलाऊंगी,
आज मैं दिया जल आऊंगी।

बिखरती एकता को जोड़ने की खातिर,
टूटते विश्वास की पुनः स्थापना की खातिर,
प्रेम की धारा बहाने की खातिर,
भारत है महान दिखलाने की खातिर।।
हां मैं दिया जलाऊंगी,
आज मैं दिया जलाऊंगी।।

रचयिता
रीता गुप्ता (स०अ०)
मा०प्रा०वि०बेहट नं० १
जनपद-सहारनपुर

13 comments:

  1. अति उत्तम कविता दीदी जी👌👌👌👌😊

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  2. दीदी आप कमाल हो, पल भर में क्या क्या लिख जाती है।
    पढ़ने वाले कि आँख भी खुल जाती है।
    अहसास होता है पढ़ते पढ़ते ,ओर बात रूह में उतर जाती है

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  3. बहुत बहुत बेहतरीन
    देशहित में सकारात्मक आहुति

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  4. बहुत बहुत सुन्दर एवं बेहतरीन कविता रीता जी ��������������������

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  5. बहुत सुंदर

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