(March 08, 2019)
नारी की पुकार....
माना कि मैं नारी हूँ
पर मैं भी सम्मान की अधिकारी हूँ
मैं भी हूँ इस धरा का हिस्सा
तुम्हारे इस अस्तित्व का किस्सा।
गर्भ की पीड़ा खुद सहकर
परिवार को प्रफुल्लित करने वाली
अपना सर्वस्व समर्पित करके
तुमको सम्राट बनाने वाली।
माँ, पत्नी, बहन बनकर
तुम्हारा आधिपत्य स्वीकारने वाली
तुम्हारा मान बढ़े जग में
इसलिए खुद को सहेजने वाली।
मानव सभ्यता की पोषक
मानवीय संस्कृति की वाहक
सृष्टि का आदि भी हूँ
सृष्टि के अंत तक चलने वाली।
बिन बोले अपनी बात कहूँ
हर बात पे तुम्हारी सजदा करूँ
निश्चित सीमा रेखा में बँध
मैं हरपल नयी उड़ान भरूँ।
फिर पुरुष प्रधान इस समाज में
क्यों मैं ही हरदम पिसती हूँ?
घर हो या कर्मक्षेत्र
क्यों मैं ही हरदम झुकती हूँ?
अस्तित्व देने वाली के
अस्तित्व को क्यों नकारते हो?
क्यों इतनी हेय दृष्टि से
तुम नारी को निहारते हो?
नारी नहीं कोई सजावटी साधन
न ही सिर्फ मनोरंजन का कारण
नारी बच्चे बनाने की मशीन नही
नारी तुम्हारी खरीदी जागीर नही।
नारी भी है एक सहृदय वसना
भाव-परिपूर्ण ईश्वरीय रचना
वह भी तुम्हारा ध्यान चाहती है
समाज में स्थान चाहती है।
कर्म बस एक महान करो
मत नारी का अपमान करो
नारी के बिना अधूरी ये सृष्टि
नारी का भी सम्मान करो।
*रीता गुप्ता*
(मेरी यह रचना महिला दिवस के अवसर पर मिशन शिक्षण संवाद के ब्लॉग पर प्रकाशित की गयी थी। यह मार्च माह की सर्वश्रेष्ठ ब्लॉग पोस्ट चुनी गई थी। पुनः यही रचना इस ब्लॉग के माध्यम से आप सभी के सम्मुख प्रस्तुत है।)
नारी की पुकार....
माना कि मैं नारी हूँ
पर मैं भी सम्मान की अधिकारी हूँ
मैं भी हूँ इस धरा का हिस्सा
तुम्हारे इस अस्तित्व का किस्सा।
गर्भ की पीड़ा खुद सहकर
परिवार को प्रफुल्लित करने वाली
अपना सर्वस्व समर्पित करके
तुमको सम्राट बनाने वाली।
माँ, पत्नी, बहन बनकर
तुम्हारा आधिपत्य स्वीकारने वाली
तुम्हारा मान बढ़े जग में
इसलिए खुद को सहेजने वाली।
मानव सभ्यता की पोषक
मानवीय संस्कृति की वाहक
सृष्टि का आदि भी हूँ
सृष्टि के अंत तक चलने वाली।
बिन बोले अपनी बात कहूँ
हर बात पे तुम्हारी सजदा करूँ
निश्चित सीमा रेखा में बँध
मैं हरपल नयी उड़ान भरूँ।
फिर पुरुष प्रधान इस समाज में
क्यों मैं ही हरदम पिसती हूँ?
घर हो या कर्मक्षेत्र
क्यों मैं ही हरदम झुकती हूँ?
अस्तित्व देने वाली के
अस्तित्व को क्यों नकारते हो?
क्यों इतनी हेय दृष्टि से
तुम नारी को निहारते हो?
नारी नहीं कोई सजावटी साधन
न ही सिर्फ मनोरंजन का कारण
नारी बच्चे बनाने की मशीन नही
नारी तुम्हारी खरीदी जागीर नही।
नारी भी है एक सहृदय वसना
भाव-परिपूर्ण ईश्वरीय रचना
वह भी तुम्हारा ध्यान चाहती है
समाज में स्थान चाहती है।
कर्म बस एक महान करो
मत नारी का अपमान करो
नारी के बिना अधूरी ये सृष्टि
नारी का भी सम्मान करो।
*रीता गुप्ता*
(मेरी यह रचना महिला दिवस के अवसर पर मिशन शिक्षण संवाद के ब्लॉग पर प्रकाशित की गयी थी। यह मार्च माह की सर्वश्रेष्ठ ब्लॉग पोस्ट चुनी गई थी। पुनः यही रचना इस ब्लॉग के माध्यम से आप सभी के सम्मुख प्रस्तुत है।)
Excellent......as always
ReplyDeleteSundar rachna...
ReplyDeleteBhut khub
ReplyDeleteBhut sundar
ReplyDeleteइसको पढ़कर वाह नहीं आह निकल रही है 👌👌👌बहुत सुंदर 💐💐💐💐
ReplyDeleteनारी की पुकार ..बहुत सुन्दर रचना रीतू जी 👌👌👌🌹🌹💐💐💐
ReplyDeleteआदरणीय सर/मैडम,
Deleteमेरा नाम रीता गुप्ता है।
Superb
ReplyDeleteAti sunder
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