Tuesday, 1 October 2019

प्लास्टिक है प्रदूषण रे

*प्लास्टिक है प्रदूषण रे*

हरी-भरी धरा बदरंग हो रही
साँसे धरती की तंग हो रहीं
बदला धरती का आवरण रे
ये प्लास्टिक है प्रदूषण रे।

जल में प्लास्टिक, धरा पे प्लास्टिक
जहाँ भी देखो प्लास्टिक-प्लास्टिक
जीव-जंतुओं का हो गया मरण रे
ये प्लास्टिक है प्रदूषण रे।

ना ये सड़ती, ना ये गलती
जलाने पर जहरीली गैस निकलती
इसको निपटाने का ना कोई साधन रे
ये प्लास्टिक है प्रदूषण रे।

कैंसर रोग की ये है जननी
बढ़ाती हृदय, मस्तिष्क को हरती
सागर का कर रही दूषण रे
ये प्लास्टिक है प्रदूषण रे।

रंगबिरंगी पन्नियां, खाली बोतलें
जल मार्ग से होकर समुद्र को चलें
रोकती धरा में जल प्रवहण रे
ये प्लास्टिक है प्रदूषण रे।

खग-मृग-जलचर बेहाल सब हुए
प्लास्टिक के ढेर से बदहाल सब हुए
कहाँ पे जाएँ, कहाँ ले जाए
समझ से परे हुआ मैटर रे
ये प्लास्टिक है प्रदूषण रे।

छोडो प्लास्टिक, प्राकृतिक पे आओ
जूट, कपड़ा या कागज़ अपनाओ
जीवन में आएगा परिवर्तन रे
ये प्लास्टिक है प्रदूषण रे।

घर से बाहर जब भी निकलो
संग कपडे का थैला ले लो
फल, तरकारी, आटा-चावल
रख लो चाहे आभूषण रे
ये प्लास्टिक है प्रदूषण रे।

प्लास्टिक के ढेर को जड़ से मिटा दो
धरा को फिर से हरा-भरा बना दो
मिल जाएगा सबको नवजीवन रे
ये प्लास्टिक है प्रदूषण रे।
   *रीता गुप्ता*

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