Sunday, 29 September 2019

ख़ुशी...

ख़ुशी.........

ख़ुशी क्या है???

कड़ी धूप में चलते राही को
एक छायादार वृक्ष है ख़ुशी

रेगिस्तान में भटके राही को
पानी की दो घूंट हैं ख़ुशी

चार दिन से भूखे भिखारी को
दो सूखी रोटियां हैं ख़ुशी

रोगी शैय्या पर पड़े व्यक्ति को
रोग शैय्या से छुटकारा है ख़ुशी

घर में वृद्ध माता-पिता को
प्यार के मीठे दो बोल हैं ख़ुशी

पढ़ाई को तरसती बिटिया को
निःशुल्क मिली शिक्षा है ख़ुशी

समर्पित हो शिक्षा देने वाले शिक्षक को
बुलंदियों पर पहुँचते छात्र हैं ख़ुशी

राह भटके नौजवान के लिए
फिर से संभल जाना है ख़ुशी

अपने देश को ऊँचा उठता देखकर
गर्वित शीश व भीगी आँखे हैं ख़ुशी

बरसों पुराने बिछड़े मित्र का
मिलकर अचानक गले लगाना है ख़ुशी

हाँ यही तो है असली ख़ुशी....
ये मोल कहाँ मिलती है
ना ताकत से, ना पैसे से
सिर्फ सच्चे एहसासों से मिलती है ख़ुशी.....
      *रीता गुप्ता*

10 comments:

  1. Bahut hi sundar 👌👌👌💐💐💐

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    1. हार्दिक आभार आपका💐💐

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  2. वाह...बहुत सुंदर💐💐💐💐

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  3. बेशक़ ऐसी ही है खुशी, कविता पढ कर बहुत खुशी हुई, थैंक्स

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  4. बेशक़ ऐसी ही है खुशी, कविता पढ कर बहुत खुशी हुई, थैंक्स

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  5. अति सुंदर ऐसी कविताएं पढ़कर मन को खुशी मिलती है गर्व होता है कि हमारी प्रिय भाभी जी ने लिखी है बहुत-बहुत खूब शुभकामनाएं कलम रुकनी नहीं चाहिए

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  6. मैम शानदार अभिव्यक्ति 🙏🙏

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  7. सुन्दर प्रस्तुति

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