ओह्ह, मेरा विक्रम रूठा है मुझसे
नादान बालक की तरह।
जाते जाते चंदा मामा के घर
अचानक से छिप गया था कहीं
मैं परेशान हुआ, रोया भी
अपनी जान के यूँ ओझल होने से
पर हताश नही था, भरोसा था मुझे
ढूंढ लाऊंगा उसे पाताल से भी
वो मेरा है, मेरे जिगर का टुकड़ा
मेरे भारत का कोहिनूर
ढूंढ़ ही लिया है मैंने उसे
वो छिपा है मुझसे नाराज़ होके
बुला रहा हूँ उसे बार-बार
पर बहुत जिद्दी है वो
अनसुना कर रहा है मुझे
सता रहा है लगातार
मैं चाहता हूँ वो उठे, आगे बढ़े
पहुंचे चंदा मामा के द्वार
वही तो है मंजिल उसकी
उसके बिना अधूरा है वो
सुनो विक्रम, अब जिद छोड़ो
आगे बढ़ो, अपना लक्ष्य पा लो।
दुनिया खड़ी है बाहें फैलाये, पलके बिछाए
तुम्हारे स्वागत को, जय-जयकार को
एक पल आगे बढ़े तो इतिहास बनाओगे
एक पल अब आलस किया तो इतिहास बनकर रह जाओगे।
मैं आवाज़ देता रहूँगा अपने प्यारे को यूँ ही
आप भी मेरे साथ दुआ करते रहना
भरोसा है मेरा विक्रम होगा चाँद पे जल्द ही
मेरा भारत बनेगा महाशक्ति अंतरिक्ष की
प्रोफ़ेसर के सिवान जी को सादर समर्पित मेरी यह रचना💐💐
Beautiful words🌹🌹🌹🌹
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका💐💐
DeleteSo sweet
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Deleteहार्दिक आभार आपका💐💐
Outstanding mam������i got goosebumps
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Deleteहार्दिक आभार आपका💐💐
Very impressive
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Deleteहार्दिक आभार आपका💐💐
हम हारे नहीं हैं पुनः आगे बढ़ेंगे सिवन जी की मेहनत रंग लायेगी
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Deleteजी, बिलकुल
हार्दिक आभार आपका💐💐
Very nice di 👌👌👌👌
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Deleteहार्दिक आभार आपका💐💐
Very very nice didi👍👍👍
ReplyDeleteThankyou dear💐💐
DeleteVery very nice didi👍👍👍
ReplyDeleteVah di gajab,👌👌👌
ReplyDeleteThankyou dear💐💐
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