Saturday, 28 September 2019

तेरी ताकत, तेरे कर्म

क्यूँ है तू इतना उदास
हिम्मत को जगा
ना सर को झुका

क्या हुआ??
एक ख्वाब ही तो टूटा है
अनेकों रात्रियाँ है तेरे पास
फिर से नया ख्वाब सजा

क्या हुआ??
मुरझाया है एक फूल उम्मीद का
सारा चमन है तेरे सामने
चल फिर से नयी उम्मीद जगा

क्या हुआ??
टूटी है एक आस इस दिल की
तेरी योग्यता है तेरे पास महफूज़
तू फिर से नयी आस जगा

क्या हुआ??
जाम छलका है एक लब पे आके
महफ़िल अभी तक जवां है दिल की
फिर से नया जाम सजा

क्या हुआ??
टूटा है तारा तेरी आशा का
पूरा आसमान भरा है सितारों से
 फिर से आशा का सितारा सजा

क्या हुआ??
भाग्य रूठा है तेरा तुझसे
तेरे बाजुओं में है फौलाद भरा
उठ, तू खुद अपना भाग्य बना

तुझमें है वो अग्नि,
जो पिघला देगी हर फौलाद
तू पहचान अपनी ताकत
चल फिर से नया आकाश बना

 रात के बाद ही खिलती है रानी
घनघोर घटा से ही मिलता है पानी
अँधेरे से ही रोशन होता है दीप
तू चल फिर से आशा का दीप जला

    *रीता गुप्ता*

5 comments:

  1. Kya khoob likha hai mam.......positivity se bhara hua

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  2. Kya likhti ho Mam kitni tarif ki jaaye utni Kim....bahut sunder

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  3. Thank you very much for such inspirational poem.

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  4. What a lovely lines of motivation 👌👌👌great

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