*नशा- देश के लिए क़ज़ा*
लोगों के स्वार्थ का नशा
गली-गली यूँ महक रहा
छोड़ पढ़ाई कैरियर-वैरियर
देश का युवा है बहक रहा
मात-पिता को पढाके पट्टी
प्रतिदिन पैसा ऐंठ रहे
ड्रग्स, अफीम, चरस के चस्की
महफ़िल में मिलकर चहक रहें
भूल रहे हैं लाल जननी को
पिता के अरमान कुचल रहे
बर्बादी की राह पे जाने को
कैसे ये नादाँ मचल रहे।
भारत के भाग्य का निर्माता
भारत का भाग्य बिगाड़ रहा
था जिसे भारत को चमकाना
वो ले नशे की आड़ रहा।
युवाओं की दुर्दशा के पीछे
क्या दोष सिर्फ युवा का है
रुपयों की खातिर बेचता जो जहर
उस देशद्रोही की सजा क्या है??
क्यूँ आँखे मूंदे बैठा है तंत्र
क्यूँ चलता कोई चाल नही
क्या ये भी कमीशन खाता है
क्यूँ रोकने की मजाल नही??
क्यूँ नशे के खिलाफ सरकार मेरे
कानून सख्त नही बनाते हो
क्यूँ जहर बेचने वालों को
सीधा तिहाड़ नही पहुंचाते हो??
जो भी नशे का कारोबार करे
हो नेता या उद्योगपति
ना रियायत मिले सजा में कोई
तभी रुकेगी राष्ट्र की क्षति
किताबी शिक्षा के साथ-साथ
बच्चे संस्कारों का पाठ पढ़ें
ऐसी हो अपनी शिक्षा प्रणाली
बच्चे खुद सही गलत का फर्क करें।
ना मिले बच्चों को अनुचित पैसा
ना बिगड़ा लाड-दुलार मिले
मात-पिता निभाएं कर्त्तव्य
बच्चों के बन मित्र रहें।
हरपल बच्चे के मन में बस
माँ का चित्र समाया हो
जब भी कभी कदम बहके
पिता का संग में साया हो।
देश का गौरव गान सुनाना
हर विद्यालय में अनिवार्य हो
चमकते भारत को हकीकत बनाना
हर नौजवान का पहला कार्य हो।
नशा चढ़े तो सिर्फ सफलता का,
नशा हो देश की मोहब्बत का
मिटा डालो ऐसे नशे को सब
जो ड्रग्स का हो या हो अफीम का
*रीता गुप्ता*
लोगों के स्वार्थ का नशा
गली-गली यूँ महक रहा
छोड़ पढ़ाई कैरियर-वैरियर
देश का युवा है बहक रहा
मात-पिता को पढाके पट्टी
प्रतिदिन पैसा ऐंठ रहे
ड्रग्स, अफीम, चरस के चस्की
महफ़िल में मिलकर चहक रहें
भूल रहे हैं लाल जननी को
पिता के अरमान कुचल रहे
बर्बादी की राह पे जाने को
कैसे ये नादाँ मचल रहे।
भारत के भाग्य का निर्माता
भारत का भाग्य बिगाड़ रहा
था जिसे भारत को चमकाना
वो ले नशे की आड़ रहा।
युवाओं की दुर्दशा के पीछे
क्या दोष सिर्फ युवा का है
रुपयों की खातिर बेचता जो जहर
उस देशद्रोही की सजा क्या है??
क्यूँ आँखे मूंदे बैठा है तंत्र
क्यूँ चलता कोई चाल नही
क्या ये भी कमीशन खाता है
क्यूँ रोकने की मजाल नही??
क्यूँ नशे के खिलाफ सरकार मेरे
कानून सख्त नही बनाते हो
क्यूँ जहर बेचने वालों को
सीधा तिहाड़ नही पहुंचाते हो??
जो भी नशे का कारोबार करे
हो नेता या उद्योगपति
ना रियायत मिले सजा में कोई
तभी रुकेगी राष्ट्र की क्षति
किताबी शिक्षा के साथ-साथ
बच्चे संस्कारों का पाठ पढ़ें
ऐसी हो अपनी शिक्षा प्रणाली
बच्चे खुद सही गलत का फर्क करें।
ना मिले बच्चों को अनुचित पैसा
ना बिगड़ा लाड-दुलार मिले
मात-पिता निभाएं कर्त्तव्य
बच्चों के बन मित्र रहें।
हरपल बच्चे के मन में बस
माँ का चित्र समाया हो
जब भी कभी कदम बहके
पिता का संग में साया हो।
देश का गौरव गान सुनाना
हर विद्यालय में अनिवार्य हो
चमकते भारत को हकीकत बनाना
हर नौजवान का पहला कार्य हो।
नशा चढ़े तो सिर्फ सफलता का,
नशा हो देश की मोहब्बत का
मिटा डालो ऐसे नशे को सब
जो ड्रग्स का हो या हो अफीम का
*रीता गुप्ता*
सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर,,,, प्रासंगिक
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteकिन शब्दों में इस अभिव्यक्ति की प्रशंसा की जाए...अद्भुत
ReplyDeleteWell defined the new generation
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