:बार-बार:
बार-बार
देखती रहूँ इन बालकों को
बनाकर मिट्टी का घर, अपने सपनों को पिरोते हुए
बार-बार
देखती रहूँ इन बालकों को
आड़ी-तिरछी लकीरों से, कल्पनाओं में विचरते हुए
बार-बार
देखती रहूँ इन बालकों को
खेल-खेल में ही, पूरी दुनिया को जीतते हुए
बार-बार
देखती रहूँ इन बालकों को
अपनी मीठी-मीठी बातों से, सबका मन मोहते हुए
बार-बार
देखती रहूँ इन बालकों को
छोटी-छोटी शरारतों से, मन ही मन खुश होते हुए
हाँ, बस यही तो एक बेफिक्र मस्ती भरा जीवन है
जो नही मिलता किसी को भी
बार-बार
बार-बार
देखती रहूँ इन बालकों को
बनाकर मिट्टी का घर, अपने सपनों को पिरोते हुए
बार-बार
देखती रहूँ इन बालकों को
आड़ी-तिरछी लकीरों से, कल्पनाओं में विचरते हुए
बार-बार
देखती रहूँ इन बालकों को
खेल-खेल में ही, पूरी दुनिया को जीतते हुए
बार-बार
देखती रहूँ इन बालकों को
अपनी मीठी-मीठी बातों से, सबका मन मोहते हुए
बार-बार
देखती रहूँ इन बालकों को
छोटी-छोटी शरारतों से, मन ही मन खुश होते हुए
हाँ, बस यही तो एक बेफिक्र मस्ती भरा जीवन है
जो नही मिलता किसी को भी
बार-बार
Superb mam......apki pratek rachna gajab hoti hai
ReplyDeleteहार्दिक आभार मैंम💐💐
DeleteBehtreen rachna
ReplyDeleteThankyou very much dear💐💐
Deleteबहुत प्यार से लिखी गई सुन्दर कविता..आपका जवाब नहीं mam
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका💐💐
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteहार्दिक आभार सर💐💐
ReplyDeleteBahut Sundar #sachai ☺️
ReplyDeleteBahut Sundar #sachai ☺️
ReplyDeleteVery true lines... childhood is the best time
ReplyDeleteVery nice mam...hakikat ko lafzo m sanjote huye...Maine dekha h apko...bar bar...hr bar..😃
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