Friday, 13 September 2019

बार-बार

:बार-बार:

बार-बार
देखती रहूँ इन बालकों को
बनाकर मिट्टी का घर, अपने सपनों को पिरोते हुए

बार-बार
देखती रहूँ इन बालकों को
आड़ी-तिरछी लकीरों से, कल्पनाओं में विचरते हुए

बार-बार
देखती रहूँ इन बालकों को
खेल-खेल में ही, पूरी दुनिया को जीतते हुए

बार-बार
देखती रहूँ इन बालकों को
अपनी मीठी-मीठी बातों से, सबका मन मोहते हुए

बार-बार
देखती रहूँ इन बालकों को
छोटी-छोटी शरारतों से, मन ही मन खुश होते हुए

हाँ, बस यही तो एक बेफिक्र मस्ती भरा जीवन है
जो नही मिलता किसी को भी
बार-बार



12 comments:

  1. Superb mam......apki pratek rachna gajab hoti hai

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    1. हार्दिक आभार मैंम💐💐

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  2. बहुत प्यार से लिखी गई सुन्दर कविता..आपका जवाब नहीं mam

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    1. हार्दिक आभार आपका💐💐

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  3. This comment has been removed by the author.

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  4. हार्दिक आभार सर💐💐

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  5. Very true lines... childhood is the best time

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  6. Very nice mam...hakikat ko lafzo m sanjote huye...Maine dekha h apko...bar bar...hr bar..😃

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