Monday, 23 September 2019

उफ़ ये जिंदगी

*उफ़ ये जिंदगी*

उफ़ ये जिंदगी, हाय ये जिंदगी
बिना पहियों की गाड़ी जैसी
दौड़ती ये जिंदगी.....

कभी वक़्त के
थपेड़े खाती
कभी संघर्षों के
झंझावातों से जूझती

सिसकती, सिमटती,
ये असहाय सी जिंदगी

कभी पृथ्वी की तरह
सब कुछ सहती
कभी आकाश की तरह
हरदम उड़ती

गुमनाम, बेजुबान
प्यारी सी जिंदगी

कभी पागल प्रेमी की तरह
मिलन को आतुर
कभी दुःखी पत्नी की तरह
तलाक को व्याकुल

हरपल रंग बदलती,
ये अनोखी सी जिंदगी

मैं हरदम देखती हूँ
सोचती हूँ
फिर खुद ही से पूछती हूँ
आखिर क्या है ये जिंदगी??

जब कुछ जवाब नही पाती
तो यही सोचकर चुप हो जाती हूँ
कि....

उफ़ ये जिंदगी, हाय ये जिंदगी
       *रीता गुप्ता*

13 comments:

  1. जिंदगी के falsafe से रूबरु कराती हुई शानदार पंक्तियाँ...

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  2. Wahhhhh mam......ek ek shabd jeevan ki sacchai se bhara hua......behtreen

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  5. Didi shi kha apne yhi hai jindgi nice didu

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  6. बेहद खूबसूरत हृदय को स्पर्श करती रचना🌷🌷

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  7. इस कविता को पसंद करने हेतु आप सभी विद्वतजनों का हार्दिक आभार🌹🌹🌹

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  8. अति मनमोहक ह्रदयस्पर्शी

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