*उफ़ ये जिंदगी*
उफ़ ये जिंदगी, हाय ये जिंदगी
बिना पहियों की गाड़ी जैसी
दौड़ती ये जिंदगी.....
कभी वक़्त के
थपेड़े खाती
कभी संघर्षों के
झंझावातों से जूझती
सिसकती, सिमटती,
ये असहाय सी जिंदगी
कभी पृथ्वी की तरह
सब कुछ सहती
कभी आकाश की तरह
हरदम उड़ती
गुमनाम, बेजुबान
प्यारी सी जिंदगी
कभी पागल प्रेमी की तरह
मिलन को आतुर
कभी दुःखी पत्नी की तरह
तलाक को व्याकुल
हरपल रंग बदलती,
ये अनोखी सी जिंदगी
मैं हरदम देखती हूँ
सोचती हूँ
फिर खुद ही से पूछती हूँ
आखिर क्या है ये जिंदगी??
जब कुछ जवाब नही पाती
तो यही सोचकर चुप हो जाती हूँ
कि....
उफ़ ये जिंदगी, हाय ये जिंदगी
*रीता गुप्ता*
उफ़ ये जिंदगी, हाय ये जिंदगी
बिना पहियों की गाड़ी जैसी
दौड़ती ये जिंदगी.....
कभी वक़्त के
थपेड़े खाती
कभी संघर्षों के
झंझावातों से जूझती
सिसकती, सिमटती,
ये असहाय सी जिंदगी
कभी पृथ्वी की तरह
सब कुछ सहती
कभी आकाश की तरह
हरदम उड़ती
गुमनाम, बेजुबान
प्यारी सी जिंदगी
कभी पागल प्रेमी की तरह
मिलन को आतुर
कभी दुःखी पत्नी की तरह
तलाक को व्याकुल
हरपल रंग बदलती,
ये अनोखी सी जिंदगी
मैं हरदम देखती हूँ
सोचती हूँ
फिर खुद ही से पूछती हूँ
आखिर क्या है ये जिंदगी??
जब कुछ जवाब नही पाती
तो यही सोचकर चुप हो जाती हूँ
कि....
उफ़ ये जिंदगी, हाय ये जिंदगी
*रीता गुप्ता*
जिंदगी के falsafe से रूबरु कराती हुई शानदार पंक्तियाँ...
ReplyDeleteYhi h zindagi. Nice one.
ReplyDeleteBahut sunder
ReplyDeleteलाजवाब
ReplyDeleteWahhhhh mam......ek ek shabd jeevan ki sacchai se bhara hua......behtreen
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteWaw mam
ReplyDeleteDidi shi kha apne yhi hai jindgi nice didu
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत हृदय को स्पर्श करती रचना🌷🌷
ReplyDeleteBht sundar kavita....
ReplyDeleteइस कविता को पसंद करने हेतु आप सभी विद्वतजनों का हार्दिक आभार🌹🌹🌹
ReplyDeleteअति मनमोहक ह्रदयस्पर्शी
ReplyDelete