Sunday, 29 September 2019

ख़ुशी...

ख़ुशी.........

ख़ुशी क्या है???

कड़ी धूप में चलते राही को
एक छायादार वृक्ष है ख़ुशी

रेगिस्तान में भटके राही को
पानी की दो घूंट हैं ख़ुशी

चार दिन से भूखे भिखारी को
दो सूखी रोटियां हैं ख़ुशी

रोगी शैय्या पर पड़े व्यक्ति को
रोग शैय्या से छुटकारा है ख़ुशी

घर में वृद्ध माता-पिता को
प्यार के मीठे दो बोल हैं ख़ुशी

पढ़ाई को तरसती बिटिया को
निःशुल्क मिली शिक्षा है ख़ुशी

समर्पित हो शिक्षा देने वाले शिक्षक को
बुलंदियों पर पहुँचते छात्र हैं ख़ुशी

राह भटके नौजवान के लिए
फिर से संभल जाना है ख़ुशी

अपने देश को ऊँचा उठता देखकर
गर्वित शीश व भीगी आँखे हैं ख़ुशी

बरसों पुराने बिछड़े मित्र का
मिलकर अचानक गले लगाना है ख़ुशी

हाँ यही तो है असली ख़ुशी....
ये मोल कहाँ मिलती है
ना ताकत से, ना पैसे से
सिर्फ सच्चे एहसासों से मिलती है ख़ुशी.....
      *रीता गुप्ता*

Saturday, 28 September 2019

तेरी ताकत, तेरे कर्म

क्यूँ है तू इतना उदास
हिम्मत को जगा
ना सर को झुका

क्या हुआ??
एक ख्वाब ही तो टूटा है
अनेकों रात्रियाँ है तेरे पास
फिर से नया ख्वाब सजा

क्या हुआ??
मुरझाया है एक फूल उम्मीद का
सारा चमन है तेरे सामने
चल फिर से नयी उम्मीद जगा

क्या हुआ??
टूटी है एक आस इस दिल की
तेरी योग्यता है तेरे पास महफूज़
तू फिर से नयी आस जगा

क्या हुआ??
जाम छलका है एक लब पे आके
महफ़िल अभी तक जवां है दिल की
फिर से नया जाम सजा

क्या हुआ??
टूटा है तारा तेरी आशा का
पूरा आसमान भरा है सितारों से
 फिर से आशा का सितारा सजा

क्या हुआ??
भाग्य रूठा है तेरा तुझसे
तेरे बाजुओं में है फौलाद भरा
उठ, तू खुद अपना भाग्य बना

तुझमें है वो अग्नि,
जो पिघला देगी हर फौलाद
तू पहचान अपनी ताकत
चल फिर से नया आकाश बना

 रात के बाद ही खिलती है रानी
घनघोर घटा से ही मिलता है पानी
अँधेरे से ही रोशन होता है दीप
तू चल फिर से आशा का दीप जला

    *रीता गुप्ता*

Tuesday, 24 September 2019

नशा-देश के लिए क़ज़ा

*नशा- देश के लिए क़ज़ा*

लोगों के स्वार्थ का नशा
गली-गली यूँ महक रहा
छोड़ पढ़ाई कैरियर-वैरियर
देश का युवा है बहक रहा

मात-पिता को पढाके पट्टी
प्रतिदिन पैसा ऐंठ रहे
ड्रग्स, अफीम, चरस के चस्की
महफ़िल में मिलकर चहक रहें

भूल रहे हैं लाल जननी को
पिता के अरमान कुचल रहे
बर्बादी की राह पे जाने को
कैसे ये नादाँ मचल रहे।

भारत के भाग्य का निर्माता
भारत का भाग्य बिगाड़ रहा
था जिसे भारत को चमकाना
वो ले नशे की आड़ रहा।

युवाओं की दुर्दशा के पीछे
क्या दोष सिर्फ युवा का है
रुपयों की खातिर बेचता जो जहर
उस देशद्रोही की सजा क्या है??

क्यूँ आँखे मूंदे बैठा है तंत्र
क्यूँ चलता कोई चाल नही
क्या ये भी कमीशन खाता है
क्यूँ रोकने की मजाल नही??

क्यूँ नशे के खिलाफ सरकार मेरे
कानून सख्त नही बनाते हो
क्यूँ जहर बेचने वालों को
सीधा तिहाड़ नही पहुंचाते हो??

जो भी नशे का कारोबार करे
हो नेता या उद्योगपति
ना रियायत मिले सजा में कोई
तभी रुकेगी राष्ट्र की क्षति

किताबी शिक्षा के साथ-साथ
बच्चे संस्कारों का पाठ पढ़ें
ऐसी हो अपनी शिक्षा प्रणाली
बच्चे खुद सही गलत का फर्क करें।

ना मिले बच्चों को अनुचित पैसा
ना बिगड़ा लाड-दुलार मिले
मात-पिता निभाएं कर्त्तव्य
बच्चों के बन मित्र रहें।

हरपल बच्चे के मन में बस
माँ का चित्र समाया हो
जब भी कभी कदम बहके
पिता का संग में साया हो।

देश का गौरव गान सुनाना
हर विद्यालय में अनिवार्य हो
चमकते भारत को हकीकत बनाना
हर नौजवान का पहला कार्य हो।

नशा चढ़े तो सिर्फ सफलता का,
नशा हो देश की मोहब्बत का
मिटा डालो ऐसे नशे को सब
जो ड्रग्स का हो या हो अफीम का
     *रीता गुप्ता*

Monday, 23 September 2019

उफ़ ये जिंदगी

*उफ़ ये जिंदगी*

उफ़ ये जिंदगी, हाय ये जिंदगी
बिना पहियों की गाड़ी जैसी
दौड़ती ये जिंदगी.....

कभी वक़्त के
थपेड़े खाती
कभी संघर्षों के
झंझावातों से जूझती

सिसकती, सिमटती,
ये असहाय सी जिंदगी

कभी पृथ्वी की तरह
सब कुछ सहती
कभी आकाश की तरह
हरदम उड़ती

गुमनाम, बेजुबान
प्यारी सी जिंदगी

कभी पागल प्रेमी की तरह
मिलन को आतुर
कभी दुःखी पत्नी की तरह
तलाक को व्याकुल

हरपल रंग बदलती,
ये अनोखी सी जिंदगी

मैं हरदम देखती हूँ
सोचती हूँ
फिर खुद ही से पूछती हूँ
आखिर क्या है ये जिंदगी??

जब कुछ जवाब नही पाती
तो यही सोचकर चुप हो जाती हूँ
कि....

उफ़ ये जिंदगी, हाय ये जिंदगी
       *रीता गुप्ता*

Wednesday, 18 September 2019

बहुत तलाश किया...

बहुत तलाश किया...

मगर नही मिला कोई ऐसा

जो कहे वो है सर्व-ज्ञानी
जो कहे वो है सर्व-शक्तिशाली
जो कहे वो है सर्व-संतोषी
जो कहे वो है स्वयं में पूर्ण

फिर ये कौन हैं

जो भरे फिरते हैं अहंकार से
दम्भ भरते हैं अकूत दौलत का
दिखावा करते हैं भंगुर रूप का
जताते है आतंक अपनी ताकत का
प्रदर्शन करते हैं अपने ज्ञान का

अंत समय जब आएगा

क्या ले जा पाएंगे साथ
एक इकन्नी भी??

बचा पाएंगे ये रूप 
अग्नि में भस्म होने से??

उठा पाएंगे अपनी अर्थी
स्वयं के हाथों से??

कर पाएंगे गीता-पाठ,
स्वयं की सदगति हेतु??

आह! कितना कमज़ोर है मानव
जन्म के समय भी पराश्रित
मृत्यु के समय भी पराश्रित

फिर क्यों मची है होड़
जग में खुद को श्रेष्ठ जताने की
क्यूँ भाई खोद रहा है खाई
भाई को गर्त में पहुँचाने की।।

*रीता गुप्ता*

Tuesday, 17 September 2019

नादान ज़िन्दगी

:नादान जिंदगी:

ऐ नादान जिंदगी
जरा चैन तो ले ले
अभी तो मैं खुलकर हंसी भी नहीं हूँ

सर पे रहा है बोझ जिम्मेदारियों का
अभी तो ठीक से मुक्त भी नही हुई हूँ

क्या सखियां, क्या सिनेमा, क्या मेले-ठेले
मैं तो अपनी दुनिया की ईंटे सजाती रही हूँ

क्या सुंदर पोशाकें, क्या सुन्दर गहने
मैं तो अभी अपना आईना बनाने में लगी हूँ

ना चाहूँ दुनिया के महलों के सुख
मैं तो दुखियारों की झोपड़ी सजाने चली हूँ

पैसे से कब सुख मिला है किसी को
मैं तो बच्चों के संग हंसने-खिलखिलाने चली हूँ

चार धाम करके भी कब मिला है भगवान
इंसानों के आँसू पोंछ, मैं भगवान् को पाने चली हूँ

तू तो रोके नही रूकती, हरदम भागती है
मैं तो खुद को खोकर तुझे पाने चली हूँ

मरना तो अंतिम सत्य है इस दुनिया का
मरने से पहले मैं अपने निशान, धरा पे बनाने चली हूँ

Monday, 16 September 2019

सर्वप्रिय सुषमा स्वराज (एक श्रद्धांजलि)

मैं रहूँ या ना रहूँ
भारत ये रहना चाहिए🇮🇳🇮🇳

आह मेरे भारत......
आज तेरी एक शेरनी चिरनिद्रा में लीन हुई।😭

मुश्किलें भी जिसके हौंसले से थर्राती थीं।

 पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण....हर दिशा से उठने वाली तरंगें सिर्फ उसी के गीत गाती थीं।

 सात समुद्र पार मुसीबत में फंसा कोई भी व्यक्ति जब दिल से पुकारता था तो देवी के समान उसे अपने पास ही पाता था।

जिसके लिए संपूर्ण भारत एक परिवार था।

जिसके लिए हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई जैसे शब्द गौण,  मात्र मानवता सर्वोपरि थी।

जिसने बिछड़ों को भी अपनों से मिलाकर, पडौसी देश को प्रेम का संदेश दिया।

जिसकी आँखों में सिर्फ सर्वोच्च, सर्वश्रेष्ठ भारत का सपना पलता था।

जो बीमारी के बावजूद एक समर्पित गृहणी के समान अपने देश रूपी परिवार के कल्याण हेतु चलती रही।

मोदीजी जैसे प्रधानमंत्री भी जिसकी कर्त्तव्यनिष्ठा के आगे नतमस्तक थे।

जो हर संकटग्रस्त की माँ थी....

आज वह महान स्त्री माननीया सुषमा स्वराज जी....अपना कर्त्तव्य निभाते-निभाते चिरनिद्रा में विलीन हो गईं।😭😭

भारतवासी आज एक माँ के प्रेम से वंचित हुए। भारतीय राजनीति में बहुत बड़ी रिक्तता आ गयी, जिसकी प्रतिपूर्ति संभव नहीं। विदेशों में रहने वाले भारतीयों के दिलों पर जो घाव आज लगा है, उसे भर पाए, किसी मरहम की इतनी औकात नही।

जब तक रहेगी ये धरा
लहराता जब तक ये गगन रहेगा।
सुषमा जी के नाम का
इस 'स्वराज' में कायम परचम रहेगा।

अश्रुपूर्ण व गर्वित श्रद्धांजलि🙏🏻🙏🏻🌹🌹
जय हिंद, जय भारत
सुषमा स्वराज जिंदाबाद🇮🇳🇮🇳

शोकाकुल
रीता गुप्ता
सहारनपुर

Sunday, 15 September 2019

हिंदी महात्म्य

*:हिंदी महात्म्य:*

हिंदी भारत का गहना है
हिंदी से है हिंदुस्तान
हिंदी दिखाती सभ्यता हमारी
हिंदी हमारी है पहचान

हिंदी बसती सबके दिल में
देती सुकून और स्वाभिमान
बोली बड़ी है यह दिलवाली
नही खोती अपनी पहचान

जैसी दिखती, वैसी ही बुलती
नही करती किसी को हैरान
इसका व्याकरण सबसे विस्तृत
संस्कृत उद्गम स्थल है बड़ा महान

सबको अपने साथ संजोती
नही फिर भी यह खुद को खोती
उर्दू मिल बढ़ाए इसकी शान
हिंदी भाषा बड़ी गुणवान

हरपल बढ़ रहा इसका दायरा
गूगल भी हुआ हिंदी का बावरा
दे रहा अब हिंदी में ज्ञान
हिंदी ने जीत लिया सारा जहान

सभी सम्मानित साथियों को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

हमारी भाषा, हिंदी भाषा
गर्व से कहें....
हिंदी हैं हम वतन है, हिन्दोस्तां हमारा🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳



Saturday, 14 September 2019

रहने दो

:रहने दो:

फूलों सी नाजुक
महकती हुई
इन बच्चियों को
मत मसलों
रहने दो

हवा सी चंचल
उड़ती हुई
इन बच्चियों को
मत रोको
रहने दो

पंछियों सी आज़ाद
चहकती हुई
इन बच्चियों को
मत टोको
रहने दो

नदिया सी कलकल
बहती हुई
इन बच्चियों को
मत बांधों
रहने दो

पढ़ने दो
लिखने दो
खेलने दो
कूदने दो
मत डाँटो इन्हें
रहने दो

ये ही हैं
आन-बान-शान
मेरे भारत की
मत रौंदो इन्हें
रहने दो

शिक्षित, सुरक्षित बालिका
भविष्य देश का

Friday, 13 September 2019

बार-बार

:बार-बार:

बार-बार
देखती रहूँ इन बालकों को
बनाकर मिट्टी का घर, अपने सपनों को पिरोते हुए

बार-बार
देखती रहूँ इन बालकों को
आड़ी-तिरछी लकीरों से, कल्पनाओं में विचरते हुए

बार-बार
देखती रहूँ इन बालकों को
खेल-खेल में ही, पूरी दुनिया को जीतते हुए

बार-बार
देखती रहूँ इन बालकों को
अपनी मीठी-मीठी बातों से, सबका मन मोहते हुए

बार-बार
देखती रहूँ इन बालकों को
छोटी-छोटी शरारतों से, मन ही मन खुश होते हुए

हाँ, बस यही तो एक बेफिक्र मस्ती भरा जीवन है
जो नही मिलता किसी को भी
बार-बार



Wednesday, 11 September 2019

जय वीर शहीद

  *जय वीर शहीद*

जब तक रहेगी ये धरा
लहराता ये गगन रहेगा
मेरे देश की धरा में
वीर शहीदों का कण कण रहेगा

देकर लहू बदन का अपने
सींचा था शहीदों ने जिसे
आज़ाद है वो हिन्द
हरदम आज़ाद रहेगा

फांसी का परवाना भी
डिगा ना पाया हौसला जिसका
वो शहीद हर हिंदुस्तानी के
दिल में अमर हर क्षण रहेगा

कैसे कहूँ की हस्ती मेरी
उससे विशाल है
वो शहीद इस हिन्द का
आफ़ताब ओ रहबर रहेगा।

वीर शहीदों को मेरा कोटि-कोटि नमन🙏🏻🙏🏻
जय हिंद, जय वीर शहीद
🇮🇳🇮🇳


Monday, 9 September 2019

जीवन जीने का ज्ञान

:जीवन जीने का ज्ञान:

जीवन की हर शाम
देती है पैगाम
दुःख हो या सुख
संयम जरूरी है।

आकाश से गिरती बूंदे
देती है सन्देश
गुरुर में ऊपर चढ़ो चाहे जितना
आकर मिलना मिट्टी में ही है।

घनघोर घिरता अँधेरा
घिर-घिर के बताता है
मुसीबत में पड़ने पर
साया भी छोड़ जाता है।

हर जाती हुई अर्थी
हमको ये बताती है
जिंदगी है बस नाच-कूद
हम सब इसमें बाराती हैं।

हर खिलता हुआ गुलाब
देता है यही जवाब
जियो बेशक दो दिन
पर जियो बनकर लाजवाब।

राहों में बिछे कांटे
हंसकर हैं समझाते
जीवन में आगे बढ़ने को
मुश्किलें बेहद जरुरी हैं।

आंगन में उगी तुलसी
यही देती है सन्देश
जिसके बनो दिल से बनो
पीड़ा हर लो, मिटा दो क्लेश।

चेत जाओ, आँखे खोलो
सुनो जरा लगाकर ध्यान
धरा पे है चहुँ ओर बिखरा
जीवन को जीने का ज्ञान

Sunday, 8 September 2019

सुनो,उठो,चलो-चंदा के घर


ओह्ह,  मेरा विक्रम रूठा है मुझसे
  नादान बालक की तरह।

जाते जाते चंदा मामा के घर
अचानक से छिप गया था कहीं

मैं परेशान हुआ, रोया भी
अपनी जान के यूँ ओझल होने से

पर हताश नही था, भरोसा था मुझे
ढूंढ लाऊंगा उसे पाताल से भी

वो मेरा है, मेरे जिगर का टुकड़ा
मेरे भारत का कोहिनूर

ढूंढ़ ही लिया है मैंने उसे
वो छिपा है मुझसे नाराज़ होके

बुला रहा हूँ उसे बार-बार
पर बहुत जिद्दी है वो

अनसुना कर रहा है मुझे
सता रहा है लगातार

मैं चाहता हूँ वो उठे, आगे बढ़े
पहुंचे चंदा मामा के द्वार

वही तो है मंजिल उसकी
उसके बिना अधूरा है वो

सुनो विक्रम, अब जिद छोड़ो
आगे बढ़ो, अपना लक्ष्य पा लो।

दुनिया खड़ी है बाहें फैलाये, पलके बिछाए
तुम्हारे स्वागत को, जय-जयकार को

एक पल आगे बढ़े तो इतिहास बनाओगे
एक पल अब आलस किया तो इतिहास बनकर रह जाओगे।

मैं आवाज़ देता रहूँगा अपने प्यारे को यूँ ही
आप भी मेरे साथ दुआ करते रहना

भरोसा है मेरा विक्रम होगा चाँद पे जल्द ही
मेरा भारत बनेगा महाशक्ति अंतरिक्ष की

प्रोफ़ेसर के सिवान जी को सादर समर्पित मेरी यह रचना💐💐

और बस पल दो पल


माना कि संपर्क टूटा है चाँद से
पर मन में संकल्प और दृढ हुआ है
ऐ चाँद, रुक ठहर जा और दो पल
तेरी बलाएँ उतारने का धागा जमीं पर रह गया है।

आ रहा हूँ मैं फिर से वापस
तुझे छूने को, तुझसे मिलने को
तुझसे मिलने का जज़्बा सच मानो
और अधिक बढ़ गया है।

मेरा देश पूरा व्याकुल है
तुझपे तिरंगा लहराने को
मेरे देश का प्रधान देखो
रातों को जग रहा है।

मेरी आँखों के ये आंसू
कोई मामूली नहीं हैं
इन आंसुओं में छिपी
तुझसे मिलने की बेताबियाँ है

अबकी जब आऊंगा
ना जाऊँगा यूँ खाली हाथ
तुझे जमीं पे उतार लाने का
वादा मैंने इस देश से किया है।

आदरणीय प्रोफेसर सिवान जी को समर्पित यह मेरी कविता।💐💐