Friday, 27 December 2019

वो हृदय विदारक दृश्य

वो हृदय विदारक दृश्य
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उफ्फ़ वह मानव
जो बैठा था कड़ाके की सर्दी में
सुबह-सुबह मेरे घर के पास

बढ़ी हुई दाढ़ी, बिखरे-उलझे बाल
तन पर एक मैला सा कम्बल लपेटे
सरकारी दान का कम्बल
नहाए अर्सा हुआ हो शायद

जल्दी-जल्दी समेट रहा था
रोटी के टुकड़ों को
खाने लगा वहां पड़े चावल
जो डाले गए थे गली के कुत्तों हेतु

वे कुत्ते खड़े उस पर भौंक रहे थे
क्योंकि नाराज़ थे उससे
अपने हिस्से का खाना छीनने पर

 आह, वो हृदय विदारक दृश्य
मेरे पति ने दिखाया था मुझे सुबह-सुबह
जागृत करने को तन्द्रा से।

मैं दुःख से चिल्लाती भागी रसोई की ओर
दो परांठे हाथ ही में लिए
दौड़ पड़ी उसे देने को

किन्तु जा चुका था वो तब तक
पति को दौड़ाया उसके पीछे
उन्होंने आवाज़ लगायी उसे
वो तुरंत पीछे मुड़ा

परांठे देखकर चमक उठी उसकी आँखे
जाने कब की भूख
शांत होने की आशा से
खुश हुआ वो, बेहद खुश

मैं चाहती थी उसे ऊनी वस्त्र देना
मगर वो ठहरा ही नही
कितना अपार संतोषी था वो
दीन-हीन फटेहाल

सोचती रह गयी मैं
अन्न की उस बर्बादी को
जो अमूमन हर शख्स करता है

अलमारी में भरे उन ऊनी वस्त्रों को
जिनका पूरी सर्दी तन पे सजने का
अवसर भी नही आता

फिर भी परेशान रहता है इंसान
भौतिक सुख की कमी से
कोसता है हरदम प्रारब्ध को
दोष देता है ईश्वर को

काश...उस दीन सा संतोष
पा जाए हर मानव
तो मिट जाएगा त्रास संसार का

हर कोई खुद खाकर,
दूसरे को भी खिला पाए
खुद के फालतू वस्त्र
दूसरे को बाँट पाए
अपनी खुशी को बाँटकर
दूसरे को भी हंसा पाए

तो मिट जाएंगे
दुःख, दारिद्र्य, दीनता
इस संसार से सदा के लिए
सदा-सदा के लिए

{सत्य घटना, चित्र सांकेतिक है। दिनाँक-27-12-2019}

Friday, 6 December 2019

अंतिम नमन प्यारे पापा

आह! चले गए आज
हमारे प्यारे पिता
तजकर यह नश्वर देह
दूर...इस कष्टमय संसार से

रह गए सभी कष्ट धरे के धरे
ना छू पाए उनको अंत तक भी
आत्मा है उनकी अब उन्मुक्त
 विचरण करती नीले आकाश में

शायद देखती होगी प्रसन्नता से हमें
धैर्यपूर्वक अपने पिता को
विदाई देते नम आँखों से
इस नश्वर संसार से

मृत्यु के बाद का स्वर्ग
मृत्यु से पूर्व भोगकर
वो कहलाये हैं भाग्यशाली पिता
अपनी बेटे जैसी बेटियों के

तिल-तिल जलकर हमको पाला
मेहनत का सबक सिखा डाला
पाया धर्म ईमानदारी का उनसे
कभी ना थकने का जुनून जगा डाला

ना सहे  कभी असीम कष्ट
ना कराई कभी हमसे सेवा
मेहनत भरे सादा जीवन का
यही पाया ईश्वर से मेवा

ब्याह के समर्पित 50 साल
बिताए हमारी माता के संग
मृत्यु रूपी अटल सत्य का
तब जाकर के किया वरण

अंतिम दिन के अंतिम क्षण तक
पूरी तरह वो रहे सजग
ना रोये शैय्या पे, ना तड़पे मृत्यु को
ना किया किसी को जरा भी तंग

अंत समय पर करा दिया
उनके नेत्रों का दान
मृत्यु उपरान्त भी पापा प्यारे
देखेंगे ये सारा जहान

पापा नाम तुम्हारा जग में
हम मिलकर चमकाएंगे
सिर्फ बेटे ही ना पार लगाते
दुनिया को बतलायेंगे

कर्मनिष्ठ बनकर इस जग में
परिश्रम की पताका फहराएंगे
कर्त्तव्य व ईमान ही श्रेष्ठ धर्म है
साबित करके दिखलायेंगे।

बेटियां भी फल हैं पुण्य कर्मों का
ये हर एक को सिखलायेंगे
नाज़ करे सब बेटी के जन्म पे
ऐसा उदाहरण बन जायेंगे।

प्यारे पापा को मेरी और से अंतिम
स्नेहिल, गौरवपूर्ण भावभीनी श्रद्धांजलि🙏🏻😥💐💐



Tuesday, 19 November 2019

हे महान रानी, है नमन तुम्हें

हे महान रानी है नमन तुम्हें
तुम हो गौरव इस धरा का
नारियों का हो सम्मान तुम
प्रकाश असीमित हर प्रभा का

तुमसे ही पाती हैं प्रेरणा हम
आत्मसम्मान ही सर्वश्रेष्ठ धन
जीवन है संघर्ष हरदम
फिर भी आशा ना छोड़े कभी हम

स्वहित से ऊपर सदा देशहित हो
निज स्वार्थ से ना ये मन पूरित हो
मन में हो गंगा और तन पे तिरंगा
तन-मन-धन देश पे समर्पित हो

ना समझें स्वयं को अबला
हम हैं हिन्द की शेरनियां
संकट यदि आये, ना तनिक घबराएं
प्राण लिए मुट्ठी में, तूफ़ां से टकराएं

ना भय मृत्यु का हो
ना मोह पुत्र का हो
लेकर शपथ तुम्हारी
बस आगे बढ़ते जाएँ।

रणक्षेत्र हो या हो संघर्ष जीवन का
ना कायरता दिखलायें, ना अपना मुंह छिपाये
मन में भरें दृढ़ता, साहस को अपनाएँ
बन लक्ष्मीबाई हम भी, हर समर विजित कर जाएँ

 वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई को मेरा
शत-शत नमन🙏🏻🙏🏻🇮🇳🇮🇳

Monday, 11 November 2019

शिक्षा, शिक्षा, शिक्षा

*शिक्षा, शिक्षा, शिक्षा*


शिक्षा जीवन का आधार
हर बालक का ये अधिकार

तन को स्वस्थ बनाती शिक्षा
मन को स्वच्छ बनाती शिक्षा

सृजनात्मकता लाती शिक्षा
चरित्र को उच्च बनाती शिक्षा

धर्म का मर्म सिखाती शिक्षा
कर्म का मार्ग दिखलातीं शिक्षा

अज्ञानता को मिटाती शिक्षा
भेद हृदय के घटाती शिक्षा

निरक्षर को साक्षर बनाती शिक्षा
नैतिकता सिखलाती शिक्षा

अध्यात्म की राह दिखाती शिक्षा
आत्मानुशासित बनाती शिक्षा

उन्नति का मार्ग दिखाती शिक्षा
देश को सक्षम बनाती शिक्षा

आदमी से मानव बनाती शिक्षा
मानवता की राह दिखाती शिक्षा

नकारात्मकता भगाती शिक्षा
सकारात्मकता की ओर बढ़ाती शिक्षा

मर्यादित बनाती शिक्षा
संयम से रहना सिखलाती शिक्षा

बंजर खेत लहलहाती शिक्षा
उजड़े चमन खिलाती शिक्षा

राह अमन की दिखाती शिक्षा
भारत को महान बनाती शिक्षा

आओ प्यारे बच्चों आओ
मिलकर शिक्षित राष्ट्र बनाओ
करो नव भारत का निर्माण
जन-जन का होगा उत्थान।

मेरा भारत, शिक्षित भारत
शिक्षा दिवस की अनंत शुभकामनायें🙏🏻👮🏻‍♀👷‍♀💂🏻👩‍🎓👩🏻‍🍳👩‍⚕👨🏻‍💼👨🏻‍💻👩🏻‍🏭👨🏻‍🚀👨🏻‍⚖👰

Friday, 25 October 2019

दीपावली- कुछ नई

*दीपावली- कुछ नई*

इस दिवाली आओ मिलजुल
कुछ ऐसा सब जतन करें
दीप ऐसा सब जलाएं
जो हर दीप रोशन करे।

है अमावस घोर अँधेरी
जिनके जीवन में नित यहाँ
उनके जीवन में उजाले
लाने का कुछ प्रयत्न करें।

हैं तड़पते रोटियों को
बालक गली में भटक रहे
अपने लड्डू की मिठास से
आओ उन्हें भी तृप्त करें।

फ़टी धोती में तन को ढकती
लजाती चाकरी कर रही
तन को ढककर उस नारी के
कोमल हृदय को कृष्णमय करें।

राह तक-तक फौजी सुत की
हाँफता जो बाप बूढ़ा
लगके उर से उस व्यथित के
उसके मन को रंजन करें।

शांति धाम में ढूंढती शांति
जो परिवारी बेघर अबलाएं
बनके उनके परिवारीजन
उनके कुछ पल आनंदित करें।

डेंगू पीड़ित कुछ बेचारे
जिंदगी को तरस रहे
करके रक्तदान उनके घर में
दीवाली की उम्मीदें रोशन करें।

खनक फैले दूर तक
खिलखिला उठे ये वसुंधरा
आओ मिलकर यूँ हंसे सब
जन-जन के हृदय को मुदित करें।

सभी बंधुओं को दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं

धनतेरस पर कुबेर जी आपका खजाना सदैव भरा रखें🍫🍫
नरक चतुर्दशी पर जीवन के समस्त दुःख संताप मिटें🌹🌹
दीपावली पर माँ लक्ष्मी साक्षात् आपके घर विराजमान हों🚩🚩

शुभकामनाओं सहित🙏🏻🙏🏻
रीता गुप्ता
सहारनपुर

Friday, 18 October 2019

एहसास...

एहसास....
एक अद्धभुत रोमांच......

मन ही मन जी उठना है एहसास
खुद में ही मर जाना है एहसास

निरतंर आगे बढ़ने का एहसास
जीवन के ठहर जाने का एहसास

देखकर किसी को प्रेम का एहसास
खुद की असफलता पर पछतावे का एहसास

 भोले बालक को देख स्नेह का एहसास
भेद फैलाते लोगों को देख, नफरत का एहसास

खिले फूलों को देख, गुदगुदाता सा एहसास
सुगन्धित समीर में महकता हुआ एहसास

अकेली अँधेरी रात में डरता सा एहसास
पिया के आलिंगन में निखरता सा एहसास

ड्यूटी के समय कर्त्तव्य पालन का एहसास
छिनते अधिकारों को देख विद्रोही सा एहसास

माँ को देख बचपने का एहसास
बच्चों को देख ममतामयी एहसास

वर्तमान में रहकर भूत में जीने का एहसास
वर्तमान में रह भविष्य को पाने का एहसास

जो नही मिला, उसे पाने का एहसास
जो मिल गया उसे गंवाने का एहसास

ख़ुशी के पलों में गम का एहसास
सुरक्षित क्षणों में असुरक्षा का एहसास

साथ रहते हुए भी बिछड़ने का एहसास
बिछड़े हुओं से पुनः मिलन का एहसास

बिना परिश्रम के धन पर दर्प का एहसास
 हर मिलती उपलब्धि पर गर्व का एहसास

एहसास ही जीवन है
एहसास ही मरण है
एहसास ही ख़ुशी है
एहसास ही रूदन है
एहसास ही उपलब्धि है
एहसास ही वंचन है
एहसास ही दोस्त है
एहसास ही दुश्मन है

सिर्फ एहसास ही दुनिया के रंगमंच का कारण है......

Monday, 14 October 2019

संस्कार निर्माण में शिक्षक की भूमिका

*संस्कार निर्माण में शिक्षक की भूमिका*

'शिक्षा का सामान्य उद्देश्य व्यक्ति का सर्वांगीण विकास है।' शिक्षा वह धुरी है जो बालक के जन्म के साथ ही प्रारम्भ हो जाती है तथा जीवन पर्यन्त चलती है। इसके प्रमुख रूप हैं औपचारिक व अनौपचारिक। अनौपचारिक शिक्षा बालक घर व समाज से प्राप्त करता ही है किंतु औपचारिक शिक्षा हेतु उसे अनिवार्य रूप से विद्यालय में प्रवेश लेना होता है।

औपचारिक शिक्षा के केंद्र विद्यालय की बालक के व्यक्तित्व निर्माण में बहुत बड़ी भूमिका है। यहाँ प्राप्त पुस्तकीय ज्ञान ही उसके कर्मक्षेत्र का आधार बनता है। इसी शिक्षा के आधार पर कोई बालक शिक्षक, डॉक्टर, इंजीनियर, वकील या कुछ और बन पाता है। यही शिक्षा उसके आगामी जीवन में उन्नति का मार्ग प्रशस्त करती है।

सवाल यह उठता है कि बालक को सफल सर्विसमैन या बिजनेसमैन बनाने वाली शिक्षा ही क्या उसके लिए पर्याप्त है??

क्या पुस्तक पढ़ने मात्र से कोई बालक ईमानदार, सत्यनिष्ठ, कर्तव्यनिष्ठ व देशभक्त बन सकता है??

क्या पुस्तक पढ़ने मात्र से आप किसी को इंसान (इंसानियत से परिपूर्ण) बना सकते हैं??

मेरे निजी विचार से ऐसा संभव नही है। पुस्तकीय ज्ञान के साथ परम अनिवार्य है बच्चों को संस्कार व आचरण की शिक्षा देना। कुछ लोग मानते हैं कि संस्कार सिखाना परिवार का कार्य है। स्कूल के लिए यह विषय अनिवार्य नही है। किन्तु मेरे विचार से संस्कार निर्माण में स्कूल की ही सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।

प्राथमिक स्तर पर बच्चा सबसे अधिक प्रभावित होता है अपने शिक्षक से। उसके लिए शिक्षक की बात पत्थर की लकीर होती है। अपने माता-पिता को भी बच्चा अनसुना कर देता है अपने शिक्षक के लिए। इसी बात का लाभ शिक्षक को मिलता है बच्चे के व्यक्तित्व निर्माण हेतु। शिक्षक बच्चों को स्नेहपूर्वक अच्छे कार्य करने हेतु प्रोत्साहित कर सकता है। उन्हें उनकी गन्दी आदतें छोड़ने पर सभी के समक्ष पुरुस्कृत कर सकता है। उत्साहवर्धन हेतु मॉर्निंग असेंबली में अच्छे बच्चों हेतु तालियां बजवा सकता है। इससे बच्चे को मानसिक संबल प्राप्त होता है तथा उसे लगता है कि यदि वह रोज यूँ ही अच्छा कार्य करेगा तो उसके शिक्षक रोज ही उसकी प्रशंसा किया करेंगे।

शिक्षक का स्वयं का आचरण भी एक उदाहरण होता है बच्चों हेतु अनुकरण के लिए। शिक्षक का व्यवहार बच्चे को सकारात्मक व नकारात्मक दोनों ही बना सकता है। अनिवार्य है कि शिक्षक संस्कारों की शिक्षा स्वयं के उत्तम आचरण से प्रारंभ करें। बच्चे निश्चित रूप से अपने शिक्षक जैसा ही बनने, दिखने व अनुसरण करने का प्रयास करते हैं।

प्रार्थना सभा का समय सर्वाधिक उपयुक्त है बच्चों में नैतिक मूल्य का विकास करने हेतु। बच्चा शारीरिक व मानसिक दोनों रूप से तरोताज़ा होता है। इस समय शिक्षक द्वारा की गयी थोड़ी सी प्रशंसा बच्चे को अगले दिन और भी अच्छे स्वरुप में आने हेतु प्रोत्साहित कर देती है।

शिक्षक बच्चों को प्रार्थना सभा में एक सप्ताह तक करने हेतु छोटे-छोटे टास्क दे सकता है, जैसे कि अपने माता-पिता व दादा-दादी की सेवा करनी है। किसी गरीब की मदद करनी है। पेड़ों में पानी देना है या पानी को बर्बाद नही होने देना। एक सप्ताह बाद बच्चे ने जो भी किया उस अनुभव को उसे असेंबली में सभी के साथ साझा करना है। एक बार संकोच करने के उपरान्त बच्चा इसी कार्य को पूरे मन से करेगा। इसके जरिये बच्चे में अपने से बड़ों के प्रति श्रद्धा भाव तो आएगा ही, वह उनकी सेवा करना भी सीखेगा।  उसका अपने बड़ों के प्रति लगाव बढ़ेगा। सभी के सामने अपने अनुभव साझा करने से उसके मन से संकोच का भाव समाप्त होगा, स्वयं को अभिव्यक्त करने की कला आएगी वह एक कुशल वक्ता भी बनेगा।  इस एक्टिविटी को आप हर सप्ताह बच्चे को दीजिये, निश्चित ही इसके सकारात्मक परिणाम परिलक्षित होंगे।

हमें बच्चों को संस्कारी होने के विषय में मात्र बताना नही है बल्कि उन्हें संस्कारी बनाना है। अतः हमें उन्ही गतिविधियों पर बल देना होगा जिनके जरिये उनमें संस्कार स्वयं ही स्थापित हों। संस्कार की शिक्षा किसी विशेष स्कूल, किसी विशेष माध्यम या किसी विशेष राज्य तक सीमित नही है। इसका क्षेत्र संपूर्ण देश है। अतः गतिविधि के रूप में इसे संपूर्ण देश के सभी स्कूलों में कराया जाना अनिवार्य है। तभी हमारी शिक्षा बालक को एक डॉक्टर, एक इंजीनियर, एक शिक्षक होने के साथ-साथ एक सहृदय इंसान बनाने में सफल हो सकती है।

लेखिका
रीता गुप्ता
सहायक अध्यापिका
मॉडल प्राइमरी स्कूल बेहट नम्बर एक, सहारनपुर

Sunday, 6 October 2019

बिटिया सारे जहान की है.....

*बिटिया सारे जहान की है*

बिखराने को खुशियां इस धरा पर
उतरी देवियां आसमान की हैं
ना तेरी हैं, ना मेरी है
ये तो बिटिया सारे जहान की हैं।

बढ़ाती वंश, चलाती घर को
अपनी हंसी से सजाती घर को
ना हिन्दू हैं, ना मुस्लिम हैं
ये तो बेटी हर इंसान की हैं।

सम्मान यही दिलातीं घर को
दुनिया में पहचान दिलातीं घर को
ना अमीर हैं, ना हैं गरीब
ये तो दौलत सारे जहान की हैं।

सभ्यता भारत की दिखलातीं सबको
संस्कृति से अपनी हर्षाती जग को
ना गोरी हैं, ना काली हैं
ये तो खूबसूरती हिंदुस्तान की हैं।

ससुराल जाती, नया जहाँ बसाती
माँ-बाप को फिर भी भूल ना पाती
ना घर की हैं, ना मायके की हैं
ये तो इज्जत सारे खानदान की हैं।

पिया की ख़ुशी को, खुद के कष्ट छिपाती
आंसुओं को पी जाती, मुस्कान हमेशा बिखराती
ना घबराती है, ना पीठ दिखाती है
ये तो हिम्मत अपने सत्यवान की है।

इसकी इज्जत से ना खिलवाड़ करो
ना एसिड डालो, ना बलात्कार करो
ना फब्तियां हो, ना गालियां हो
ये तो मूरत दिल से सम्मान की है।

ना रुका अगर ये अत्याचार
नारी खुद करेगी फिर प्रतिकार
ना अबला है, ना दुर्बल है
ये तो शक्ति खुद भगवान् की है।
   *रीता गुप्ता*

Saturday, 5 October 2019

जल है तो कल है...

जल है तो कल है
जल से जीवन, जल से उपवन
जल से ही महके सारा ये चमन

जल से मछली, जल से बिजली
जल से खिलती हर कली-कली

जल से मानव, जल से ये विहग
जल से चलता सारा ये जग

जल पर घोर रहा संकट है विकट
है निकट विनाश धरा का अब

मैं भी सक्षम, तू भी सक्षम
हैं लगाये बैठे पानी का मोटर

बहता नाली में पानी हरदम
इसको रोकने का कौन उठाये कदम

तुझसे ऊँची मेरी मूँछें
मुझसे ऊँची तेरी मूँछें
मूँछें अपनी झुकायेगा कौन

ये धरती भी अपनी,
ये जल भी अपना
प्रकृति है अपनी समझायेगा कौन

ना खुद के दिल पर वार करो
वाटर वॉर ना तैयार करो
वॉटर क्राइसिस है सर पर खड़ा
बच्चों का फ्यूचर ना बेकार करो

एक एक बूँद बचाओ जल की
यही तो मुख्य जरूरत है कल की

बिन पानी ना होगा यह चमन
अंगारे बरसायेगा यह गगन

 ना रहेंगे यह पेड़,
 ना बचेगा कोई प्राणी
 ना होगी सुंदर सुबह
 ना रहेगी कागज की कश्ती की कहानी

बस वही जल है, जो निर्मल है
अवशेष तो समुद्र का मल है

निर्मल जल को बचाओ तुम
आने वाली पीढ़ी का भविष्य बनाओ तुम

बिन पानी रोएगा मुन्ना
बिन पानी ना मिलेगा गन्ना
बिन पानी ना बहेगी नदियाँ
बंजर हो जाएगी यह सुंदर धरा

आने वाले कल को सँवारे आज
जल संरक्षण का प्रण करें आज

मन में बस यही भावना प्रबल है
जल है तो कल है
जल है तो कल है।।
    *रीता गुप्ता*

Friday, 4 October 2019

नारी की पुकार

(March 08, 2019)
नारी की पुकार....
माना कि मैं नारी हूँ
पर मैं भी सम्मान की अधिकारी हूँ
मैं भी हूँ इस धरा का हिस्सा
तुम्हारे इस अस्तित्व का किस्सा।

गर्भ की पीड़ा खुद सहकर
परिवार को प्रफुल्लित करने वाली
अपना सर्वस्व समर्पित करके
तुमको सम्राट बनाने वाली।

माँ, पत्नी, बहन बनकर
तुम्हारा आधिपत्य स्वीकारने वाली
तुम्हारा मान बढ़े जग में
इसलिए खुद को सहेजने वाली।

मानव सभ्यता की पोषक
मानवीय संस्कृति की वाहक
सृष्टि का आदि भी हूँ
सृष्टि के अंत तक चलने वाली।

बिन बोले अपनी बात कहूँ
हर बात पे तुम्हारी सजदा करूँ
निश्चित सीमा रेखा में बँध
मैं हरपल नयी उड़ान भरूँ।

फिर पुरुष प्रधान इस समाज में
क्यों मैं ही हरदम पिसती हूँ?
घर हो या कर्मक्षेत्र
क्यों मैं ही हरदम झुकती हूँ?

अस्तित्व देने वाली के
अस्तित्व को क्यों नकारते हो?
क्यों इतनी हेय दृष्टि से
तुम नारी को निहारते हो?

नारी नहीं कोई सजावटी साधन
न ही सिर्फ मनोरंजन का कारण
नारी बच्चे बनाने की मशीन नही
नारी तुम्हारी खरीदी जागीर नही।

नारी भी है एक सहृदय वसना
भाव-परिपूर्ण ईश्वरीय रचना
वह भी तुम्हारा ध्यान चाहती है
समाज में स्थान चाहती है।

कर्म बस एक महान करो
मत नारी का अपमान करो
नारी के बिना अधूरी ये सृष्टि
नारी का भी सम्मान करो।
     *रीता गुप्ता*

(मेरी यह रचना महिला दिवस के अवसर पर मिशन शिक्षण संवाद के ब्लॉग पर प्रकाशित की गयी थी। यह मार्च माह की सर्वश्रेष्ठ ब्लॉग पोस्ट चुनी गई थी। पुनः यही रचना इस ब्लॉग के माध्यम से आप सभी के सम्मुख प्रस्तुत है।)

Thursday, 3 October 2019

जोया..The Special Child

जोया..The Special Child...

नन्ही सी एक परी है वो
हाँ, बिलकुल वो नादान है
भोला चेहरा, मासूम अदाएं
दुनिया से वो अनजान है
मेरी जोया, मेरी जान है...

ईश्वर की एक अद्भुत कृति
स्वभाव से अति सरल मूर्ति सी
रूप तो दिया, इच्छाएं भी दी
पर सोच शिशु समान है
मेरी जोया, मेरी जान है...

लगती शांत सी, भोली भाली
पर बातें हैं बड़ी निराली
मुझसे छुपकर देखती है मुझको
मेरी ही कॉपी करके मुझको
कर देती वो हैरान है
मेरी जोया, मेरी जान है...

स्कूल आती, मंद मंद मुस्काती
किन्तु गेट पर आकर सकुचाती
बिन स्नेह स्पर्श वो ना खुल पाती
ऊँगली मेरी पकड़ के चलना
यही उसके लिए शान है
मेरी जोया, मेरी जान है...

कभी मुस्काती, कभी चाक चलाती
संग बच्चों के डांस दिखाती
मूड बने तो शोर मचाती,
वरना मूक दर्शक बन जाती
नटखट, चंचल, प्यारी गुड़िया
पर कभी-कभी बहुत शैतान है
मेरी जोया, मेरी जान है...

बहुत स्पेशल, स्नेह की पुजारी
उसकी भोली अदाओं पे मैं बलिहारी
मेरा अख्श दिखाती वो सबको
कामों से अपने रिझाती वो सबको
याद आते ही अक्सर उसकी
खिल जाती चेहरे पे मुस्कान है
मेरी जोया, मेरी जान है....
    *रीता गुप्ता*

Tuesday, 1 October 2019

प्लास्टिक है प्रदूषण रे

*प्लास्टिक है प्रदूषण रे*

हरी-भरी धरा बदरंग हो रही
साँसे धरती की तंग हो रहीं
बदला धरती का आवरण रे
ये प्लास्टिक है प्रदूषण रे।

जल में प्लास्टिक, धरा पे प्लास्टिक
जहाँ भी देखो प्लास्टिक-प्लास्टिक
जीव-जंतुओं का हो गया मरण रे
ये प्लास्टिक है प्रदूषण रे।

ना ये सड़ती, ना ये गलती
जलाने पर जहरीली गैस निकलती
इसको निपटाने का ना कोई साधन रे
ये प्लास्टिक है प्रदूषण रे।

कैंसर रोग की ये है जननी
बढ़ाती हृदय, मस्तिष्क को हरती
सागर का कर रही दूषण रे
ये प्लास्टिक है प्रदूषण रे।

रंगबिरंगी पन्नियां, खाली बोतलें
जल मार्ग से होकर समुद्र को चलें
रोकती धरा में जल प्रवहण रे
ये प्लास्टिक है प्रदूषण रे।

खग-मृग-जलचर बेहाल सब हुए
प्लास्टिक के ढेर से बदहाल सब हुए
कहाँ पे जाएँ, कहाँ ले जाए
समझ से परे हुआ मैटर रे
ये प्लास्टिक है प्रदूषण रे।

छोडो प्लास्टिक, प्राकृतिक पे आओ
जूट, कपड़ा या कागज़ अपनाओ
जीवन में आएगा परिवर्तन रे
ये प्लास्टिक है प्रदूषण रे।

घर से बाहर जब भी निकलो
संग कपडे का थैला ले लो
फल, तरकारी, आटा-चावल
रख लो चाहे आभूषण रे
ये प्लास्टिक है प्रदूषण रे।

प्लास्टिक के ढेर को जड़ से मिटा दो
धरा को फिर से हरा-भरा बना दो
मिल जाएगा सबको नवजीवन रे
ये प्लास्टिक है प्रदूषण रे।
   *रीता गुप्ता*

Sunday, 29 September 2019

ख़ुशी...

ख़ुशी.........

ख़ुशी क्या है???

कड़ी धूप में चलते राही को
एक छायादार वृक्ष है ख़ुशी

रेगिस्तान में भटके राही को
पानी की दो घूंट हैं ख़ुशी

चार दिन से भूखे भिखारी को
दो सूखी रोटियां हैं ख़ुशी

रोगी शैय्या पर पड़े व्यक्ति को
रोग शैय्या से छुटकारा है ख़ुशी

घर में वृद्ध माता-पिता को
प्यार के मीठे दो बोल हैं ख़ुशी

पढ़ाई को तरसती बिटिया को
निःशुल्क मिली शिक्षा है ख़ुशी

समर्पित हो शिक्षा देने वाले शिक्षक को
बुलंदियों पर पहुँचते छात्र हैं ख़ुशी

राह भटके नौजवान के लिए
फिर से संभल जाना है ख़ुशी

अपने देश को ऊँचा उठता देखकर
गर्वित शीश व भीगी आँखे हैं ख़ुशी

बरसों पुराने बिछड़े मित्र का
मिलकर अचानक गले लगाना है ख़ुशी

हाँ यही तो है असली ख़ुशी....
ये मोल कहाँ मिलती है
ना ताकत से, ना पैसे से
सिर्फ सच्चे एहसासों से मिलती है ख़ुशी.....
      *रीता गुप्ता*

Saturday, 28 September 2019

तेरी ताकत, तेरे कर्म

क्यूँ है तू इतना उदास
हिम्मत को जगा
ना सर को झुका

क्या हुआ??
एक ख्वाब ही तो टूटा है
अनेकों रात्रियाँ है तेरे पास
फिर से नया ख्वाब सजा

क्या हुआ??
मुरझाया है एक फूल उम्मीद का
सारा चमन है तेरे सामने
चल फिर से नयी उम्मीद जगा

क्या हुआ??
टूटी है एक आस इस दिल की
तेरी योग्यता है तेरे पास महफूज़
तू फिर से नयी आस जगा

क्या हुआ??
जाम छलका है एक लब पे आके
महफ़िल अभी तक जवां है दिल की
फिर से नया जाम सजा

क्या हुआ??
टूटा है तारा तेरी आशा का
पूरा आसमान भरा है सितारों से
 फिर से आशा का सितारा सजा

क्या हुआ??
भाग्य रूठा है तेरा तुझसे
तेरे बाजुओं में है फौलाद भरा
उठ, तू खुद अपना भाग्य बना

तुझमें है वो अग्नि,
जो पिघला देगी हर फौलाद
तू पहचान अपनी ताकत
चल फिर से नया आकाश बना

 रात के बाद ही खिलती है रानी
घनघोर घटा से ही मिलता है पानी
अँधेरे से ही रोशन होता है दीप
तू चल फिर से आशा का दीप जला

    *रीता गुप्ता*

Tuesday, 24 September 2019

नशा-देश के लिए क़ज़ा

*नशा- देश के लिए क़ज़ा*

लोगों के स्वार्थ का नशा
गली-गली यूँ महक रहा
छोड़ पढ़ाई कैरियर-वैरियर
देश का युवा है बहक रहा

मात-पिता को पढाके पट्टी
प्रतिदिन पैसा ऐंठ रहे
ड्रग्स, अफीम, चरस के चस्की
महफ़िल में मिलकर चहक रहें

भूल रहे हैं लाल जननी को
पिता के अरमान कुचल रहे
बर्बादी की राह पे जाने को
कैसे ये नादाँ मचल रहे।

भारत के भाग्य का निर्माता
भारत का भाग्य बिगाड़ रहा
था जिसे भारत को चमकाना
वो ले नशे की आड़ रहा।

युवाओं की दुर्दशा के पीछे
क्या दोष सिर्फ युवा का है
रुपयों की खातिर बेचता जो जहर
उस देशद्रोही की सजा क्या है??

क्यूँ आँखे मूंदे बैठा है तंत्र
क्यूँ चलता कोई चाल नही
क्या ये भी कमीशन खाता है
क्यूँ रोकने की मजाल नही??

क्यूँ नशे के खिलाफ सरकार मेरे
कानून सख्त नही बनाते हो
क्यूँ जहर बेचने वालों को
सीधा तिहाड़ नही पहुंचाते हो??

जो भी नशे का कारोबार करे
हो नेता या उद्योगपति
ना रियायत मिले सजा में कोई
तभी रुकेगी राष्ट्र की क्षति

किताबी शिक्षा के साथ-साथ
बच्चे संस्कारों का पाठ पढ़ें
ऐसी हो अपनी शिक्षा प्रणाली
बच्चे खुद सही गलत का फर्क करें।

ना मिले बच्चों को अनुचित पैसा
ना बिगड़ा लाड-दुलार मिले
मात-पिता निभाएं कर्त्तव्य
बच्चों के बन मित्र रहें।

हरपल बच्चे के मन में बस
माँ का चित्र समाया हो
जब भी कभी कदम बहके
पिता का संग में साया हो।

देश का गौरव गान सुनाना
हर विद्यालय में अनिवार्य हो
चमकते भारत को हकीकत बनाना
हर नौजवान का पहला कार्य हो।

नशा चढ़े तो सिर्फ सफलता का,
नशा हो देश की मोहब्बत का
मिटा डालो ऐसे नशे को सब
जो ड्रग्स का हो या हो अफीम का
     *रीता गुप्ता*

Monday, 23 September 2019

उफ़ ये जिंदगी

*उफ़ ये जिंदगी*

उफ़ ये जिंदगी, हाय ये जिंदगी
बिना पहियों की गाड़ी जैसी
दौड़ती ये जिंदगी.....

कभी वक़्त के
थपेड़े खाती
कभी संघर्षों के
झंझावातों से जूझती

सिसकती, सिमटती,
ये असहाय सी जिंदगी

कभी पृथ्वी की तरह
सब कुछ सहती
कभी आकाश की तरह
हरदम उड़ती

गुमनाम, बेजुबान
प्यारी सी जिंदगी

कभी पागल प्रेमी की तरह
मिलन को आतुर
कभी दुःखी पत्नी की तरह
तलाक को व्याकुल

हरपल रंग बदलती,
ये अनोखी सी जिंदगी

मैं हरदम देखती हूँ
सोचती हूँ
फिर खुद ही से पूछती हूँ
आखिर क्या है ये जिंदगी??

जब कुछ जवाब नही पाती
तो यही सोचकर चुप हो जाती हूँ
कि....

उफ़ ये जिंदगी, हाय ये जिंदगी
       *रीता गुप्ता*

Wednesday, 18 September 2019

बहुत तलाश किया...

बहुत तलाश किया...

मगर नही मिला कोई ऐसा

जो कहे वो है सर्व-ज्ञानी
जो कहे वो है सर्व-शक्तिशाली
जो कहे वो है सर्व-संतोषी
जो कहे वो है स्वयं में पूर्ण

फिर ये कौन हैं

जो भरे फिरते हैं अहंकार से
दम्भ भरते हैं अकूत दौलत का
दिखावा करते हैं भंगुर रूप का
जताते है आतंक अपनी ताकत का
प्रदर्शन करते हैं अपने ज्ञान का

अंत समय जब आएगा

क्या ले जा पाएंगे साथ
एक इकन्नी भी??

बचा पाएंगे ये रूप 
अग्नि में भस्म होने से??

उठा पाएंगे अपनी अर्थी
स्वयं के हाथों से??

कर पाएंगे गीता-पाठ,
स्वयं की सदगति हेतु??

आह! कितना कमज़ोर है मानव
जन्म के समय भी पराश्रित
मृत्यु के समय भी पराश्रित

फिर क्यों मची है होड़
जग में खुद को श्रेष्ठ जताने की
क्यूँ भाई खोद रहा है खाई
भाई को गर्त में पहुँचाने की।।

*रीता गुप्ता*

Tuesday, 17 September 2019

नादान ज़िन्दगी

:नादान जिंदगी:

ऐ नादान जिंदगी
जरा चैन तो ले ले
अभी तो मैं खुलकर हंसी भी नहीं हूँ

सर पे रहा है बोझ जिम्मेदारियों का
अभी तो ठीक से मुक्त भी नही हुई हूँ

क्या सखियां, क्या सिनेमा, क्या मेले-ठेले
मैं तो अपनी दुनिया की ईंटे सजाती रही हूँ

क्या सुंदर पोशाकें, क्या सुन्दर गहने
मैं तो अभी अपना आईना बनाने में लगी हूँ

ना चाहूँ दुनिया के महलों के सुख
मैं तो दुखियारों की झोपड़ी सजाने चली हूँ

पैसे से कब सुख मिला है किसी को
मैं तो बच्चों के संग हंसने-खिलखिलाने चली हूँ

चार धाम करके भी कब मिला है भगवान
इंसानों के आँसू पोंछ, मैं भगवान् को पाने चली हूँ

तू तो रोके नही रूकती, हरदम भागती है
मैं तो खुद को खोकर तुझे पाने चली हूँ

मरना तो अंतिम सत्य है इस दुनिया का
मरने से पहले मैं अपने निशान, धरा पे बनाने चली हूँ

Monday, 16 September 2019

सर्वप्रिय सुषमा स्वराज (एक श्रद्धांजलि)

मैं रहूँ या ना रहूँ
भारत ये रहना चाहिए🇮🇳🇮🇳

आह मेरे भारत......
आज तेरी एक शेरनी चिरनिद्रा में लीन हुई।😭

मुश्किलें भी जिसके हौंसले से थर्राती थीं।

 पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण....हर दिशा से उठने वाली तरंगें सिर्फ उसी के गीत गाती थीं।

 सात समुद्र पार मुसीबत में फंसा कोई भी व्यक्ति जब दिल से पुकारता था तो देवी के समान उसे अपने पास ही पाता था।

जिसके लिए संपूर्ण भारत एक परिवार था।

जिसके लिए हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई जैसे शब्द गौण,  मात्र मानवता सर्वोपरि थी।

जिसने बिछड़ों को भी अपनों से मिलाकर, पडौसी देश को प्रेम का संदेश दिया।

जिसकी आँखों में सिर्फ सर्वोच्च, सर्वश्रेष्ठ भारत का सपना पलता था।

जो बीमारी के बावजूद एक समर्पित गृहणी के समान अपने देश रूपी परिवार के कल्याण हेतु चलती रही।

मोदीजी जैसे प्रधानमंत्री भी जिसकी कर्त्तव्यनिष्ठा के आगे नतमस्तक थे।

जो हर संकटग्रस्त की माँ थी....

आज वह महान स्त्री माननीया सुषमा स्वराज जी....अपना कर्त्तव्य निभाते-निभाते चिरनिद्रा में विलीन हो गईं।😭😭

भारतवासी आज एक माँ के प्रेम से वंचित हुए। भारतीय राजनीति में बहुत बड़ी रिक्तता आ गयी, जिसकी प्रतिपूर्ति संभव नहीं। विदेशों में रहने वाले भारतीयों के दिलों पर जो घाव आज लगा है, उसे भर पाए, किसी मरहम की इतनी औकात नही।

जब तक रहेगी ये धरा
लहराता जब तक ये गगन रहेगा।
सुषमा जी के नाम का
इस 'स्वराज' में कायम परचम रहेगा।

अश्रुपूर्ण व गर्वित श्रद्धांजलि🙏🏻🙏🏻🌹🌹
जय हिंद, जय भारत
सुषमा स्वराज जिंदाबाद🇮🇳🇮🇳

शोकाकुल
रीता गुप्ता
सहारनपुर

Sunday, 15 September 2019

हिंदी महात्म्य

*:हिंदी महात्म्य:*

हिंदी भारत का गहना है
हिंदी से है हिंदुस्तान
हिंदी दिखाती सभ्यता हमारी
हिंदी हमारी है पहचान

हिंदी बसती सबके दिल में
देती सुकून और स्वाभिमान
बोली बड़ी है यह दिलवाली
नही खोती अपनी पहचान

जैसी दिखती, वैसी ही बुलती
नही करती किसी को हैरान
इसका व्याकरण सबसे विस्तृत
संस्कृत उद्गम स्थल है बड़ा महान

सबको अपने साथ संजोती
नही फिर भी यह खुद को खोती
उर्दू मिल बढ़ाए इसकी शान
हिंदी भाषा बड़ी गुणवान

हरपल बढ़ रहा इसका दायरा
गूगल भी हुआ हिंदी का बावरा
दे रहा अब हिंदी में ज्ञान
हिंदी ने जीत लिया सारा जहान

सभी सम्मानित साथियों को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

हमारी भाषा, हिंदी भाषा
गर्व से कहें....
हिंदी हैं हम वतन है, हिन्दोस्तां हमारा🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳



Saturday, 14 September 2019

रहने दो

:रहने दो:

फूलों सी नाजुक
महकती हुई
इन बच्चियों को
मत मसलों
रहने दो

हवा सी चंचल
उड़ती हुई
इन बच्चियों को
मत रोको
रहने दो

पंछियों सी आज़ाद
चहकती हुई
इन बच्चियों को
मत टोको
रहने दो

नदिया सी कलकल
बहती हुई
इन बच्चियों को
मत बांधों
रहने दो

पढ़ने दो
लिखने दो
खेलने दो
कूदने दो
मत डाँटो इन्हें
रहने दो

ये ही हैं
आन-बान-शान
मेरे भारत की
मत रौंदो इन्हें
रहने दो

शिक्षित, सुरक्षित बालिका
भविष्य देश का

Friday, 13 September 2019

बार-बार

:बार-बार:

बार-बार
देखती रहूँ इन बालकों को
बनाकर मिट्टी का घर, अपने सपनों को पिरोते हुए

बार-बार
देखती रहूँ इन बालकों को
आड़ी-तिरछी लकीरों से, कल्पनाओं में विचरते हुए

बार-बार
देखती रहूँ इन बालकों को
खेल-खेल में ही, पूरी दुनिया को जीतते हुए

बार-बार
देखती रहूँ इन बालकों को
अपनी मीठी-मीठी बातों से, सबका मन मोहते हुए

बार-बार
देखती रहूँ इन बालकों को
छोटी-छोटी शरारतों से, मन ही मन खुश होते हुए

हाँ, बस यही तो एक बेफिक्र मस्ती भरा जीवन है
जो नही मिलता किसी को भी
बार-बार



Wednesday, 11 September 2019

जय वीर शहीद

  *जय वीर शहीद*

जब तक रहेगी ये धरा
लहराता ये गगन रहेगा
मेरे देश की धरा में
वीर शहीदों का कण कण रहेगा

देकर लहू बदन का अपने
सींचा था शहीदों ने जिसे
आज़ाद है वो हिन्द
हरदम आज़ाद रहेगा

फांसी का परवाना भी
डिगा ना पाया हौसला जिसका
वो शहीद हर हिंदुस्तानी के
दिल में अमर हर क्षण रहेगा

कैसे कहूँ की हस्ती मेरी
उससे विशाल है
वो शहीद इस हिन्द का
आफ़ताब ओ रहबर रहेगा।

वीर शहीदों को मेरा कोटि-कोटि नमन🙏🏻🙏🏻
जय हिंद, जय वीर शहीद
🇮🇳🇮🇳


Monday, 9 September 2019

जीवन जीने का ज्ञान

:जीवन जीने का ज्ञान:

जीवन की हर शाम
देती है पैगाम
दुःख हो या सुख
संयम जरूरी है।

आकाश से गिरती बूंदे
देती है सन्देश
गुरुर में ऊपर चढ़ो चाहे जितना
आकर मिलना मिट्टी में ही है।

घनघोर घिरता अँधेरा
घिर-घिर के बताता है
मुसीबत में पड़ने पर
साया भी छोड़ जाता है।

हर जाती हुई अर्थी
हमको ये बताती है
जिंदगी है बस नाच-कूद
हम सब इसमें बाराती हैं।

हर खिलता हुआ गुलाब
देता है यही जवाब
जियो बेशक दो दिन
पर जियो बनकर लाजवाब।

राहों में बिछे कांटे
हंसकर हैं समझाते
जीवन में आगे बढ़ने को
मुश्किलें बेहद जरुरी हैं।

आंगन में उगी तुलसी
यही देती है सन्देश
जिसके बनो दिल से बनो
पीड़ा हर लो, मिटा दो क्लेश।

चेत जाओ, आँखे खोलो
सुनो जरा लगाकर ध्यान
धरा पे है चहुँ ओर बिखरा
जीवन को जीने का ज्ञान

Sunday, 8 September 2019

सुनो,उठो,चलो-चंदा के घर


ओह्ह,  मेरा विक्रम रूठा है मुझसे
  नादान बालक की तरह।

जाते जाते चंदा मामा के घर
अचानक से छिप गया था कहीं

मैं परेशान हुआ, रोया भी
अपनी जान के यूँ ओझल होने से

पर हताश नही था, भरोसा था मुझे
ढूंढ लाऊंगा उसे पाताल से भी

वो मेरा है, मेरे जिगर का टुकड़ा
मेरे भारत का कोहिनूर

ढूंढ़ ही लिया है मैंने उसे
वो छिपा है मुझसे नाराज़ होके

बुला रहा हूँ उसे बार-बार
पर बहुत जिद्दी है वो

अनसुना कर रहा है मुझे
सता रहा है लगातार

मैं चाहता हूँ वो उठे, आगे बढ़े
पहुंचे चंदा मामा के द्वार

वही तो है मंजिल उसकी
उसके बिना अधूरा है वो

सुनो विक्रम, अब जिद छोड़ो
आगे बढ़ो, अपना लक्ष्य पा लो।

दुनिया खड़ी है बाहें फैलाये, पलके बिछाए
तुम्हारे स्वागत को, जय-जयकार को

एक पल आगे बढ़े तो इतिहास बनाओगे
एक पल अब आलस किया तो इतिहास बनकर रह जाओगे।

मैं आवाज़ देता रहूँगा अपने प्यारे को यूँ ही
आप भी मेरे साथ दुआ करते रहना

भरोसा है मेरा विक्रम होगा चाँद पे जल्द ही
मेरा भारत बनेगा महाशक्ति अंतरिक्ष की

प्रोफ़ेसर के सिवान जी को सादर समर्पित मेरी यह रचना💐💐

और बस पल दो पल


माना कि संपर्क टूटा है चाँद से
पर मन में संकल्प और दृढ हुआ है
ऐ चाँद, रुक ठहर जा और दो पल
तेरी बलाएँ उतारने का धागा जमीं पर रह गया है।

आ रहा हूँ मैं फिर से वापस
तुझे छूने को, तुझसे मिलने को
तुझसे मिलने का जज़्बा सच मानो
और अधिक बढ़ गया है।

मेरा देश पूरा व्याकुल है
तुझपे तिरंगा लहराने को
मेरे देश का प्रधान देखो
रातों को जग रहा है।

मेरी आँखों के ये आंसू
कोई मामूली नहीं हैं
इन आंसुओं में छिपी
तुझसे मिलने की बेताबियाँ है

अबकी जब आऊंगा
ना जाऊँगा यूँ खाली हाथ
तुझे जमीं पे उतार लाने का
वादा मैंने इस देश से किया है।

आदरणीय प्रोफेसर सिवान जी को समर्पित यह मेरी कविता।💐💐